अब फैशन के तौर पर इस्तेमाल होते हैं कलीरे, लेकिन पहले के जमाने में ऐसे नजर आते थे

कलीरे इन दिनों फैशन ट्रेंड का हिस्सा बन गाया है, लेकिन पहले के टाइम में सिर्फ पंजाबी दुल्हनें ही कलीरे पहना करती थीं, लेकिन अब ज्यादातर हर लड़की कलीरे पहनती हैं.

कलीरे इन दिनों फैशन ट्रेंड का हिस्सा बन गाया है, लेकिन पहले के टाइम में सिर्फ पंजाबी दुल्हनें ही कलीरे पहना करती थीं, लेकिन अब ज्यादातर हर लड़की कलीरे पहनती हैं.

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Nidhi Sharma
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kalire Photograph: (Social Media)

ब्राइडल लुक को इन्हांस करने के लिए चूड़े के साथ कलीरे पहने जाते हैं. वहीं, कलीरे को सुख और समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है. अब दुल्हन को कलीरे पहनाए जाते हैं. अब कलीरे धीरे-धीरे फैशन ट्रेंड का हिस्सा बन गए है. आम दुल्हनों से लेकर सेलेब्स ब्राइड्स तक सभी चूड़े के साथ कलीरे पहनती हैं. 

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कलीरे तोड़ने की रस्म 

इन दिनों ना सिर्फ कलीरे पहनने की बल्कि इसे तोड़ने की भी रस्म निभाई जाती है. इस रस्म में दुल्हन अविवाहित लड़के-लड़कियों के ऊपर दोनों हाथों से कलीरे तोड़ने की कोशिश करती है. वह जिस पर भी गिरता है, माना जाता है कि जल्दी ही उसकी शादी हो जाएगी. 

सहेली पहनाती हैं कलीरे 

चूड़े के साथ ही हर पंजाबी दुल्हन शादी में कलीरे भी पहनती है. इन्हें चूड़ें के साथ बीच में पहना जाता है. दुल्हन की सहेलियां और घर की प्रिय लड़कियां दुल्हन को कलीरे पहनाती हैं. जब कलीरे दुल्हन की चूडियों के साथ बांध दी जाती है.

चूड़े का रहस्य

पहले के समय में 'हाथीदांत' से बनी चूड़ियों को शुभ माना जाता था. इस चूड़े की कीमत भी सामान्य चूड़े से ज्यादा थी. हालांकि अब चूड़े प्लास्टिक की चूड़ियों से बने होते हैं. चूड़ा आजकल कई प्रकार और पैटर्न में उपलब्ध है. लड़की को उसके मामा की ओर से चूड़ा चढ़ाया जाता है. इसे पहनाने के दौरान दुल्हन की आंखें बंद रखी जाती हैं.

शादी के इतने टाइम बाद उतरते हैं चूड़े 

बाद में चूड़े को कपड़े से कवर कर दिया जाता है. इसके साथ ही कलीरे भी पहना दिए जाते है. शादी के करीब सवा महीने बाद या 1 साल बाद दुल्हने अपने-अपने रीति-रिवाजों से चूड़ा उतारती है और इसे संभाल कर रखती हैं. यह संस्कार अभी भी प्रचलित है.

मखाने के कलीरे 

वहीं पहले के टाइम में कलीरे मखाने और सूखे गोले के बनाए जाते थे. यह एक पारंपरिक रस्म है, खासकर पंजाबी और हिमाचली शादियों में, जहां दुल्हन को कलीरे पहनाए जाते थे. ये कलीरे मखाने (कमल के बीज), सूखे नारियल और कभी-कभी चावल जैसी खाद्य वस्तुओं से सजाए जाते थे. यह रस्म दुल्हन के मायके वालों की तरफ से होती है और इसका मतलब है कि वे दुल्हन के लिए सुख-समृद्धि और भोजन की कभी कमी न होने की कामना करते हैं. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.

 

 

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