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joota churai rasam Photograph: (Freepik(AI))
जूता चुराई की रस्म शादी की सबसे मजेदार परंपराओं में से एक है. ये सिर्फ नेग लेने का तरीका नहीं, बल्कि जीजा की समझदारी और स्वभाव की परीक्षा भी होती है. इससे दोनों परिवारों में अपनापन बढ़ता है. मस्ती के साथ रिश्तों को जोड़ने का यह अनोखा तरीका है. इन दिनों की शादियां सिर्फ फॉर्मेलिटी नहीं, बल्कि एक सेलिब्रेशन बन चुकी हैं. जिसमें पन एलिमेंट्स भी खूब ऐड होते हैं. जब दूल्हा मंडप में आता है, तो दुल्हन की बहनें और सहेलियां उसके जूते चुरा लेती हैं और फिर होती है जोरदार नेग की डिमांड. लेकिन इसके पीछे की सच्चाई क्या है. आइए आपको बताते हैं.
क्या होती है जूता चुराई की रस्म?
जब दूल्हा मंडप में फेरे लेने बैठता है, तो वह अपने जूते बाहर उतार देता है. इस मौके का फायदा उठाकर दुल्हन की बहनें और दोस्त मिलकर चुपके से जूते चुरा लेती हैं और कहीं छुपा देती हैं. फिर शादी के बाद जब दूल्हे को जूते चाहिए होते हैं, तब उसे अपनी सालियों से नेग यानी गिफ्ट या पैसे देकर वापस लेने पड़ते हैं. इस रस्म में खूब मस्ती होती है और दोनों पक्षों के बीच मजेदार नोकझोंक होती है.
क्या है इसके पीछे की सोच?
यह रस्म केवल टाइमपास नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक इंटेलिजेंट सोच छुपी है. दुल्हन की बहनें अपने होने वाले जीजा का थोड़ा टेस्ट लेती हैं देखती हैं कि वह सिचुएशन को कैसे हैंडल करते हैं. अगर दूल्हा मुस्कराते हुए, मजाक में नेग देता है और किसी से नाराज नहीं होता, तो यह दर्शाता है कि वह शांत स्वभाव और समझदार इंसान है, जो रिश्तों को दिल से निभाएगा. यह रस्म यह भी दिखाती है कि दूल्हा नए रिश्तों को किस तरह अपनाता है और कितना सहज है नए परिवार के साथ.
फैमिली बॉन्डिंग में मददगार
जूता चुराई की रस्म के जरिए दोनों फैमिली के बीच दोस्ताना माहौल बनता है. जब दूल्हा और उसके घरवाले सालियों से जूते वापस लेने की कोशिश करते हैं, तो बातचीत होती है, हंसी-मजाक होता है और रिश्ता एकदम फ्रेंडली हो जाता है. ये चीजें आगे चलकर रिश्ते को लंबे समय तक मजबूत बनाती हैं. यही नहीं, यह रस्म दुल्हन के परिवार को यह विश्वास भी देती है कि दूल्हा उनके अपनेपन को समझता है और रिश्तों की इज्जत करता है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.