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Diwali 2025 (File Image)
Diwali 2025: दिवाली यानी दीपों का उत्सव सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है, जो न सिर्फ एक त्योहार है बल्कि हिंदू धर्म की पहचान,संस्कृति और अनंत भावना है.ये मात्र एक धार्मिक पर्व न होकर अंधकार पर विजय का पर्व है. इस दिन घरों को दीपों से सजाया जाता है, परिवार के सभी लोग एकत्र होकर मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं और खुशियां मनाते हैं. लेकिन क्या आप जानते है कि दिवाली क्यों मनाई जाती है?
असल में दिवाली के पर्व को लेकर एक नहीं बल्कि कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इस उत्सव को और भी गहरा बनाता हैं.आइए जानते है दिवाली के उत्सव को धूमधाम से मनाए जाने के पीछे के कथाओं के बारे में.
कहां से हुई शुरुआत?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,कार्तिक मास की अमावस्या को भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद मां सीता व लक्ष्मण के संग अयोध्या वापस लौटे थें. उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया था, जिससे कार्तिक अमावस्या की वो रात रोशनी से जगमगा उठी थी. तब से दिवाली मनाने की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है, जिसे आज भी उसी खुशी के साथ उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
छोटी दिवाली मनाने की कथा
दिवाली को लेकर एक दूसरी कथा भी है, जो भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है. ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में नरकासुर नाम का असुर हुआ करता था. इसने सोलह हजार महिलाओं को अपनी कैद में रखा था. नरकासुर ने अपनी शक्ति से सभी देवताओं में अपना भय बना दिया था. भगवान विष्णु ने अपने कृष्ण अवतार में नरकासुर का वध किया, जिसे आज छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है.
ऐसा माना जाता है कि नरकासुर की मां ने भगवान विष्णु से वरदान मांगा था कि उसकी मृत्यु के दिन को त्योहार के रूप में मनाया जाएगा. इसलिए यह दिन भी दिवाली से जुड़ा हुआ है.
क्यों होती है माता लक्ष्मी की पूजा?
दिवाली को लेकर एक और प्रसिद्ध कथा है जो समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है. ऐसा माना जाता है कि जब समुद्र मंथन हो रहा था, तब कार्तिक अमावस्या के दिन देवी लक्ष्मी कमल के फूल पर विराजमान होकर प्रकट हुई थीं.
उन्होंने भगवान विष्णु को अपना जीवनसाथी चुना. उनके प्रकट होने से संसार में धन, सौभाग्य और समृद्धि का संचार हुआ.इसी कारण दिवाली की रात को मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, ताकि घर में सुख-समृद्धि बनी रहे.
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