जन्म से बुढ़ापे तक कितनी बार बदलता है दिमाग? नई स्टडी ने खोला राज

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पहली बार बताया है कि इंसानी दिमाग उम्र के साथ सीधे नहीं बढ़ता, बल्कि पांच अलग-अलग चरणों में बदलता है. ब्रेन का नेटवर्क 9, 32, 66 और 83 साल की उम्र में सबसे बड़े बदलावों से गुजरता है.

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पहली बार बताया है कि इंसानी दिमाग उम्र के साथ सीधे नहीं बढ़ता, बल्कि पांच अलग-अलग चरणों में बदलता है. ब्रेन का नेटवर्क 9, 32, 66 और 83 साल की उम्र में सबसे बड़े बदलावों से गुजरता है.

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Ravi Prashant
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BRAIN FACTS

ब्रेन फैक्ट्स Photograph: (FREEPIK)

हम आमतौर पर यह मानते हैं कि इंसानी दिमाग उम्र के साथ धीरे-धीरे परिपक्व होता है. जन्म, बचपन, किशोरावस्था और फिर वयस्कता. लेकिन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की नवीनतम रिसर्च ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है. इस अध्ययन में दावा किया गया है कि दिमाग उम्र के साथ सीधी रेखा में नहीं बढ़ता, बल्कि पांच चरणों में बदलता है, और इन चरणों के बीच चार अहम मोड़ आते हैं, 9 साल, 32 साल, 66 साल और 83 साल.

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जर्नल Nature Communications में प्रकाशित इस रिसर्च में दिमाग के “टोपोलॉजी” यानी ब्रेन नेटवर्क की बनावट और कनेक्टिविटी की जांच की गई. वैज्ञानिकों ने दिमाग के सफ़ेद पदार्थ (White Matter) की वायरिंग पर विशेष ध्यान दिया, जिसके आधार पर यह तय किया गया कि दिमाग कब, कैसे और कितनी तेजी से बदलता है.

पहला चरण: जन्म से 9 साल तक

जन्म के बाद दिमाग तेजी से आकार बढ़ाता है। इस दौरान दिमाग में बहुत सारे नेटवर्क बनते हैं, लेकिन यह नेटवर्क कमजोर होते हैं. यह वह समय है जब बच्चा हर चीज़ को तेज़ी से सीखता है, हर अनुभव उसके दिमाग को सिखाता है। लेकिन कनेक्शनों की भरमार होने के कारण सिस्टम उतना प्रभावी नहीं होता.

दूसरा चरण: 9 से 32 साल सबसे बड़ा और प्रभावी बदलाव

स्टडी के अनुसार, 9 साल की उम्र सबसे महत्वपूर्ण मोड़ है. इसी समय दिमाग अपने नेटवर्क को साफ-सुथरा, व्यवस्थित और तेज बनाना शुरू करता है. यही दौर सोचने, निर्णय लेने, व्यवहारिक समझ और सामाजिक कौशल का “शेपिंग पीरियड” है.

इस अवधि में दिमाग अपने नेटवर्क को अधिक कुशल बनाता है. मतलब दिमाग कम ऊर्जा खर्च करके ज्यादा सोचता, समझता और याद रखता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि दिमाग की दक्षता का चरम 32 वर्ष की उम्र में आता है. इसीलिए शुरुआती 30s में व्यक्ति का दिमाग सबसे तेज, संतुलित और प्रभावी माना जाता है.

तीसरा चरण: 32 से 66 साल स्थिरता का दौर

यह दिमाग की सबसे लंबी अवस्था है। स्टडी कहती है कि 32 के बाद बुद्धिमत्ता, व्यक्तित्व और सोचने की शैली स्थिर हो जाती है. इसे “प्लेटो ऑफ इंटेलिजेंस एंड पर्सनैलिटी” भी कहा गया है. इस दौरान दिमाग विशेष कौशल और अनुभवों को मजबूत करता है, लेकिन गति उतनी तेज़ नहीं रहती।

चौथा चरण: 66 से 83 धीमा बदलाव

66 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते दिमाग की वायरिंग धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस उम्र से दिमाग बड़े नेटवर्क के बजाय छोटे-छोटे समूहों में काम करना शुरू कर देता है. इसी समय डिमेंशिया और मेमोरी लॉस जैसी समस्याएं उभरने का खतरा बढ़ता है.

पांचवा चरण: 83 साल के बाद अंतिम बदलाव

83 साल के बाद दिमाग के कनेक्शन और कमजोर हो जाते हैं. यह वही प्रक्रिया है जो 66 में शुरू होती है, पर अधिक तीव्र रूप में दिखाई देती है. खास बात यह है कि इस उम्र में दिमाग कुछ विशेष नेटवर्क पर ज्यादा निर्भर होने लगता है, जिससे निर्णय और याददाश्त और धीमी हो सकती है.

यह स्टडी क्यों महत्वपूर्ण?

यह अध्ययन बताता है कि दिमाग का विकास केवल उम्र पर नहीं, बल्कि उसके नेटवर्क की गुणवत्ता और बदलते पैटर्न पर आधारित है. यही वजह है कि हर उम्र में मानसिक क्षमता, सीखने की शक्ति, व्यवहार और याददाश्त अलग तरीके से कार्य करती है.

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