बालूचरी, जमदानी और बनारसी, इस World Heritage Day आइए जानते हैं पारंपरिक तरीके से तैयार की गई साड़ियों के बारे में

World Heritage Day: हर राज्य की बुनाई वहां की संस्कृति और त्योहारों से जुड़ी होती है. आइए इस वर्ल्ड हेरिटेज डे पर भारत के विभिन्न राज्यों में तैयार किए गए साड़ियां के बारे में जानते हैं.  

World Heritage Day: हर राज्य की बुनाई वहां की संस्कृति और त्योहारों से जुड़ी होती है. आइए इस वर्ल्ड हेरिटेज डे पर भारत के विभिन्न राज्यों में तैयार किए गए साड़ियां के बारे में जानते हैं.  

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Priya Singh
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World Heritage Day

World Heritage Day

World Heritage Day: जब भी हम भारत की पारंपरिक चीजों की बात करते हैं, तो कपड़ों की बुनाई सबसे पहले याद आती है. हमारे देश की हर एक बुनाई, न केवल सुंदर होती है, बल्कि वो उस जगह की संस्कृति, परंपरा और कहानी को भी बयां करती है. चाहे वो बनारसी साड़ी हो या गुजराती पटोला, Fashion इंडस्ट्री का हर कपड़ा कुछ कहता है. चलिए जानते हैं भारत की कुछ खास बुनाई परंपराओं के बारे में.

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मौजूदा समय में  मशीन से बनी चीजों को हम ज्यादा प्राथमिकता देते हैं. फैक्ट्रियों में जल्दी बनने वाले सस्ते कपड़े लोगों को ज्यादा लुभाते हैं. लेकिन इसका दुष्प्रभाव पारंपरिक बुनकरों और शिल्पकारों के जीवन पर पड़ता है. नई पीढ़ी इस काम को अपनाने से हिचकिचाती है. पैसे की तंगी की वजह से नए लोग इससे कम जुड़ना चाहते हैं. Weave From India कल्चर को बचाने के लिए हमें नए प्रयास करने चाहिए. हस्तशिल्प मेले और फेयर जैसे कार्यक्रम को प्रोत्साहना देना चाहिए, जिससे बुनकर यहां सीधे अपने बनाए कपड़े बेच सकें. इनदिनों कई ऐसे ई कॉमर्स वेबसाइट्स भी हैं, जहां बुने हुए कपड़े मिल रहे हैं. युवा पीढ़ी को सरकारी ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत ये हुनर सिखाया जा रहा है. तो चलिए भारत के विभिन्न हस्तशिल्प कलाओं के बारे में जानते हैं. 

1. बनारसी साड़ी 

Zari Banarasi Saree

Types Of Weaves में सबसे पहले आती हैं बनारसी साड़ी. बनारसी साड़ियां उत्तर प्रदेश के बनारस (वाराणसी) से आती हैं. ये साड़ियाँ बहुत ही भारी और सुंदर होती हैं, जिनमें सुनहरी या चांदी की जरी का काम होता है. पहले राजघरानों की महिलाएं ये पहनती थीं. आज भी शादी-ब्याह में ये साड़ी बहुत पसंद की जाती हैं. भारी बॉर्डर, रॉयल लुक, हाथ से बनी डिजाइन इस साड़ी की खासियत होती हैं.

2. पटोला 

Zari Patola Saree

पटोला साड़ियां गुजरात के पाटन शहर से आती हैं. इन्हें बनाने में बहुत समय और मेहनत लगती है. इसमें कपड़ा बुनने से पहले ही धागों को रंगा जाता है, जिससे ये डिजाइन बहुत खास और टिकाऊ बनती है. इस Traditional Weave की खासियत यह है कि इसके दोनों तरफ एक जैसी डिजाइन होती है. इसका रंग नहीं उड़ता. ये साड़ी दिखने में रॉयल लगती है. 

3. कांजीवरम

Kanjeevaram Saree

World Heritage Day पर कांजीवरम साड़ी की बात न हो, ऐसा हो सकता है? कांजीवरम साड़ी साउथ की शान है. ये साड़ियां तमिलनाडु के कांचीपुरम से आती हैं. इन्हें बनाने के लिए चमकीली, रंगीन और मोटे रेशम का इस्तेमाल किया जाता है. इन पर अक्सर मंदिरों की आकृति, मोर और फूलों की डिजाइन होती है. ये साड़ियां भारी सिल्क, लंबे समय तक टिकने वाली मटेरियल और ब्राइडल फेवरेट तरीके से तैयार की जाती है. 

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4. बालूचरी 

Silk Baluchari Sarees

बंगाल में केवल तांत की साड़ियां ही प्रचलित नहीं हैं. बल्कि यहां बालूचरी साड़ियों को भी बेहद पसंद किया जाता है. ये साड़ियां पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से आती हैं. इन Weave From India पर बुनाई के जरिए रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथों की कहानियां दिखाई जाती हैं. ये पहनने में जितनी सुंदर लगती हैं, उतनी ही अनोखी भी होती हैं.

5. जमदानी 

Cotton Jamdani Saree

जमदानी साड़ी नाजुक बुनाई की मिसाल है. इसमें बंगाल और बांग्लादेश की खास बुनाई पाई जाती है. इस साड़ी में कपास पर हल्की-फुल्की, मगर बेहद खूबसूरत डिजाइन बनाई जाती है. इसकी बुनाई में बहुत धैर्य और हुनर लगता है. जामदानी साड़ी मशीन नहीं, पूरी तरह बुनकरों के हाथों से बनाई जाती हैं. इसे बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. इन कपड़ों में हर्बल और मिट्टी के रंगों का प्रयोग होता है, जो स्किन-फ्रेंडली होते हैं. 

Disclaimer: इस लेख में दिए गए प्रॉडक्ट्स का चुनाव मिंत्रा पर दी गई यूजर रेटिंग के आधार पर किया गया है। इन उत्पादों की बिक्री, गुणवत्ता और कीमतों आदि से संबंधित किसी भी विवाद के लिए न्यूज नेशन उत्तरदायी नहीं है। ऊपर दिए गए उत्पादों के संबंध में लिखे गए आर्टिकल के लेखन का न्यूज नेशन के पत्रकारों से कोई संबंध नहीं है।

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