जब मुंहासा बन गया तलाक का कारण, इसलिए भारत में बढ़ा ब्राइडल प्लास्टी का चलन
एक आदमी ने अपनी पत्नी से तलाक की अपील की और कारण बताया कि उसे पत्नी के मुंहासे से सदमा झेलना पड़ रहा है.
नई दिल्ली:
बात कुछ साल पुरानी है. एक आदमी ने अपनी पत्नी से तलाक की अपील की और कारण बताया कि उसे पत्नी के मुंहासे से सदमा झेलना पड़ रहा है. उसने अपने तलाक़ (divorce) की अर्ज़ी में तर्क दिया था कि उसकी पत्नी के चेहरे पर मुंहासे (acne) और दाेनों की वजह से 1998 में उसे अपने हनीमून (Honeymoon) के दौरान वैवाहिक संबंध बनाने में रुकावट आई थी. पति के पक्ष में फ़ैसला देते हुए एक फ़ैमिली कोर्ट ने कहा कि, 'बेशक डरावनी स्थिति पत्नी के लिए बहुत दुखद है लेकिन यह पति के लिए भी बहुत सदमा पहुंचाने वाली है.' कोर्ट ने कहा, 'महिला ने अपनी बीमारी के बारे में पति को न बताकर, उसने अपने पति के साथ फ़्रॉड किया है.', लेकिन जब यह मामला बांबे हाई कोर्ट में पहुंचा तो वहां यह ख़ारिज हो गया.
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दरअसल शादी से पहले यौन संबंध, लिव-इन रिलेशनशिप और देर से शादी करने की बढ़ती प्रवृति के कारण अब अधिक से अधिक लोग अच्छा दिखने, अच्छा चेहरा पाने, शरीर को अच्छा आकार देने, फिटनेस और परफार्मेंस विशेष रूप से यौन संबंधों में अच्छा परफार्मेंस के लिए शारीरिक रूप से फिर से युवा होने की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं.
बेहतर और युवा दिखने की इच्छा मनुष्य में हमेशा से रही है लेकिन इन दिनों यह इच्छा चरम पर है. न केवल फिल्म स्टारों, रईसों, मॉडलों, बल्कि कामकाजी प्रोफेशनलों, गृहिणियों ने भी पूरी Body को युवा बनाने और उम्र को कम करने वाले कार्यक्रमों का विकल्प लेना शुरू कर दिया है.
सामाजिक ताने-बाने में प्रतिमान में इस तरह के बदलाव के कारण अपने चेहरे में निखार लाने, शरीर की सुंदरता बढ़ाने, यौन और जननांग में कायाकल्प करने की मांग बढ़ रही है और इन मांगों को पूरा करने के लिए एक विशिष्ट क्षेत्र का आगमन हुआ है. अत्यधिक दबाव वाली कॉर्पोरेट नौकरियों और तनाव से भरा जीवन के कारण कई प्रोफेशनल एंटी एजिंग स्ट्रेस बस्टर्स (Anti Aging Stress Busters) का चयन कर रहे हैं और अपने आप में उत्साह को पुनः प्राप्त कर रहे हैं.
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मैक्स हाॅस्पिटल, पटपड़गंज के एस्थेटिक्स एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के निदेश् डाॅ. मनोज जौहर ने बताया, ‘‘इन दिनों कई रिश्ते खत्म हो रहे हैं और कई नए संबंध बनाए जा रहे हैं जिसके कारण अब लोगों में पहले से बेहतर दिखने की इच्छा हो रही है. प्रोफेशनल इन दिनों अत्यधिक प्रतिस्पर्धी माहौल और सहकर्मी के दबाव में कई घंटों तक काम कर रहे हैं जिसके कारण अब पहले की तुलना में रिश्ते खोने का खतरा पैदा हो गया है और तलाक और पुनर्विवाहों की दर बढ़ रही है और निश्चित रूप से सोच, प्रवृत्ति और जीवनशैली के तरीके में बदलाव के कारण, यौन गतिविधियां, सामान्य दिखने वाले बॉडी कॉन्टूरिंग आदि जैसे कार्यात्मक सौंदर्य से संबंधित कुछ पहलुओं की आवश्यकता बढ़ रही है.’’
28-34 साल के पुरुष अपने लुक को लेकर अधिक चिंतित
मनोवैज्ञानिक सिमरनजीत सिंह कौर बताती हैं कि सामाजिक कारकों, सांस्कृतिक पहलुओं और कार्यस्थल में प्रतियोगिता के मिश्रण ने पुरुषों को अपने घेरे को तोड़ने के लिए प्रेरित किया है. लगभग 28-34 साल की उम्र के अधिकतर पुरुष अपने लुक को लेकर अधिक चिंतित हैं क्योंकि स्मार्ट और आकर्षक दिखना कार्यस्थल में प्रतियोगिता के लिए जरूरी हो सकता है या कार्यस्थल के लिए जरूरी हो सकता है. आज हर कोई अच्छा दिखना चाहता है, स्टाइलिश दिखना चाहता है चाहे सोशल स्टेटस, लुक और सुंदरता या क्लाइंट या डीलर का सामना करने की बात हो, लुक और पोशाक का सबसे अच्छा पहला इंप्रेशन पड़ता है.
2 से 3 तीन दिन में बदल जाती है काया
वहीं डाॅ. मनोज जौहर कहते हैं कि लोग सम्पूर्ण मेकओवर की मांग कर रहे हैं जो रिकवरी के समय पर निर्भर करते हैं. आजकल समय काफी महत्वपूर्ण हो गया है इसलिए उपलब्धता का काफी ध्यान रखा जा रहा है. चूंकि फैमिली सपोर्ट सिस्टम में कमी आ रही है, इसलिए लोग अक्सर तेजी से रिकवरी पाने वाले वाले विकल्पों को चुनते हैं. इसलिए समय पर आधारित उपचार के प्रकार का चयन करना महत्वपूर्ण हो गया है.
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उन्होंने कहा, ‘‘आजकल एक दिन में रिकवरी हो जाने वाली या ऑफिस में की जाने वाली प्रक्रिया जैसी छोटी प्रक्रियाओं की मांग अधिक है. सर्जरी में शामिल इसकी गंभीरता और सुरक्षाशा मुद्दों के साथ समझौता किए बिना, सर्जन के पास ऐसी त्वरित रिकवरी प्रक्रियाओं की मांग आ रही है जिससे उनके शेड्यूल में कोई फेरबदल या बाधा न आए. जिस सर्जरी में रिकवरी में आम तौर पर 3-5 दिन लगते हैं, अब वह प्रक्रिया 1-2 दिन के भीतर की जा रही है और इसलिए इसकी समय सीमा सीमित हो गई है.’’
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अब ऐसी कई उन्नत प्रक्रियाएं आ गई हैं जो लगभग 45 मिनट में की जाती हैं और रोगी उसी दिन घर वापस जा सकता है. चूंकि इनमें चीरा लगाने की जरूरत नहीं होती है, इसलिए रोगी के शरीर पर कोई निशान नहीं रहता है. रोगी को स्वस्थ होने में अधिकतम 3 से 5 दिन लगते हैं. इन प्रक्रियाओं के परिणाम तत्काल प्राप्त होते हैं और ये सस्ती भी होती हैं.
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