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धनतेरस 2018: खरीदने जा रहे हैं सोना? पहले समझ लें कैसे करें शुद्धता की पहचान

जब आभूषण खरीदे या बेचे जाते हैं, तब कीमत की गणना करने से पहले शुद्धता का ही विश्लेषण किया जाता है। सोने का मूल्य उसकी शुद्धता से निर्धारित होता है, जिसे कैरेट में मापा जाता है।

Updated on: 03 Nov 2018, 11:03 AM

नई दिल्ली:

जब आभूषण खरीदे या बेचे जाते हैं, तब कीमत की गणना करने से पहले शुद्धता का ही विश्लेषण किया जाता है। सोने का मूल्य उसकी शुद्धता से निर्धारित होता है, जिसे कैरेट में मापा जाता है। बराबर वजन के दो टुकड़ों को कैरेट के आधार पर ही अलग-अलग मूल्य दिया जाता है। सोने का शुद्ध रूप 24 कैरेट (99.99 प्रतिशत) होता है। हालांकि, 24 कैरेट सोना नरम होता है और उसका आकार बिगड़ सकता है। मजबूती और डिजायनिंग के लिए उसमें अन्य धातुओं को मिश्रित किया जाता है। इससे सुंदर डिजाइन तैयार करने में मदद मिलती है।

कैरेट जितना अधिक होगा, सोने का आभूषण उतना ही महंगा होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि उच्च कैरेट का मतलब है कि आभूषण में सोना अधिक है और अन्य धातुएं कम। सोने की शुद्धता के बारे में कुछ अन्य बुनियादी चीजों को समझने के लिए यहां एक सरल गाइड पेश है।

मेलोरा के मर्चेडाइजिंग एंड ऑपरेशंस हेड सुलभ अग्रवाल सोने की शुद्धता के बारे में बता रहे हैं, ताकि धनतेरस पर आपको सोना खरीदने में आसानी हो सके।

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24 कैरेट सोना: यह शुद्ध सोना है और संकेत देता है कि सभी 24 भाग शुद्ध हैं और इसमें अन्य धातुएं नहीं मिली हैं। इसका रंग स्पष्ट रूप से उज्‍जवल पीला होता है और यह अन्य किस्मों की तुलना में अधिक महंगा होता है। ज्यादातर, लोग इतने कैरेट के सोने को सिक्कों या बार के रूप में खरीदना पसंद करते हैं।

22 कैरेट सोना: इसका तात्पर्य है कि आभूषण में 22 भाग सोना है और शेष 2 भाग में अन्य धातुएं हैं। इस प्रकार का सोना आभूषण बनाने में प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह 24 कैरेट सोने से अधिक कठोर होता है। हालांकि, नगों से जड़े आभूषणों के लिए 22 कैरेट सोने को प्राथमिकता नहीं दी जाती है।

8 कैरेट सोना: यह श्रेणी 75 प्रतिशत सोना तथा 25 प्रतिशत तांबा और चांदी वाली होती है। यह बाकी दो श्रेणियों की तुलना में कम महंगी है और इसका इस्तेमाल स्टड तथा हीरे के आभूषण बनाने में किया जाता है। इसका रंग हल्का पीला होता है। सोने का प्रतिशत कम होने के कारण, यह 22 या 24 कैरेट श्रेणियों की तुलना में मजबूत होता है। इसलिए लाइटवेट और ट्रेंडी ज्वैलरी बनाने तथा सादे डिजायन तैयार करने में इसका उपयोग किया जाता है। समान डिजायन तैयार करने में, कम कैरेट का सोना उच्च कैरेट विकल्प की तुलना में कम वजन वाला होता है। इस सोने का मूल्य कम होता है, क्योंकि 18 कैरेट में सोने का घटक कम होता है। इसके कारण आभूषण हल्के, किफायती और अधिक टिकाऊ होते हैं।

14 कैरेट सोना: यह श्रेणी 58.5 प्रतिशत शुद्ध सोने और शेष अन्य धातुओं की होती है। यह भारत में अधिक चलन में नहीं है।

सोने के रंग: आभूषण बनाते समय मिश्र धातु की संरचना को बदलकर सोने को अन्य रंग भी दिए जा सकते हैं। कुछ रंग इस प्रकार हैं।

गुलाबी सोना: मिश्र धातु संरचना में अधिक तांबा जोड़कर गुलाबी सोना बनता है।
हरा सोना: मिश्र धातु संरचना में अधिक जस्ता और चांदी जोड़कर बनाया जाता है।
सफेद सोना: मिश्र धातु संरचना में निकल या पैलेडियम जोड़कर बनाया जाता है।

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जो लोग अपने आभूषण को आकर्षक बनाना चाहते हैं, लेकिन कीमत भी किफायती रखना चाहते हैं, उनके लिए 18 कैरेट सोने के आभूषण उपयुक्त रहते हैं। पश्चिमी देशों में 9 या 10 कैरेट के आभूषण लोकप्रिय हैं, लेकिन भारतीय ग्राहक 22 कैरेट को शुद्ध सोने के रूप में लेते हैं। हालांकि, आधुनिक महिलाओं की ज्वैलरी संबंधी प्राथमिकताओं में बदलाव आया है, जिससे कम-कैरेट वाले सोने के रूप में 18 कैरेट का चलन बढ़ रहा है। ऐसे आभूषण ट्रेंडी होते हुए भी किफायती रहते हैं, जिनका मूल्य 3000 रुपये से शुरू होता है।

शुद्धता का निशान: हॉलमाक्र्ड आभूषण वे हैं, जिनमें सोने की मात्रा का मूल्यांकन किया गया हो और शुद्धता के अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन किया गया हो। यह मार्क भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा दिया जाता है। बीआईएस हॉलमार्क के विभिन्न भाग इस प्रकार हैं। बीआईएस स्टेंडर्ड मार्क का लोगो। फिनेस मार्क जो सोने के कैरेट को दर्शाता है। यह 1000 भागों में सोने की मात्रा को प्रदर्शित करता है। उदाहरण के लिए, 750 का अर्थ है 18 कैरेट सोना।

आभूषण सबसे अधिक मूल्यवान संपत्तियों में से एक है और इसे खरीदने से पहले बुद्धिमानी के साथ सभी पहलुओं का मूल्यांकन करने में ही समझदारी है।