महिलाओं के इस्तेमाल होने वाली मोजरी और जूती में क्या होता है फर्क, यहां समझें अंतर

Fashion Tips In Hindi: जब भी बात फुटवियर की आती है, तो ट्रेडिशनल पहनावे के लिए जूती और मोजरी आती है. जो कि पैरों को काफी खूबसूरत लुक देती है. यह पहनने में भी काफी सुंदर लगती है.

Fashion Tips In Hindi: जब भी बात फुटवियर की आती है, तो ट्रेडिशनल पहनावे के लिए जूती और मोजरी आती है. जो कि पैरों को काफी खूबसूरत लुक देती है. यह पहनने में भी काफी सुंदर लगती है.

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Nidhi Sharma
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मोजरी और जूती

मोजरी और जूती Photograph: (Freepik)

Fashion Tips In Hindi: जूती और मोजरी पहनावे के लिए बेस्ट है. यह हमारी संस्कृति और विरासत से काफी खूबसूरती के साथ जुड़े हुए है. हम जूती और मोजरी का इस्तेमाल अक्सर करते रहते हैं. लेकिन क्या आपको इन दोनों में फर्क पता है. इन दोनों में बारीक सा फर्क होता है. वहीं यह हमेशा ही फैशन में रहती है. इन ट्रेडिशनल जूती और मोजरी राजस्थान की रेत तक फैला हुआ है.

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जूती

जूती काफी ट्रेडिशनल है जिसे भारत के पंजाब राज्य में खूब पहना जाता है. जूती शब्द उर्दू भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब है कि ऐसा जूता जिसका ऊपरी हिस्सा बंद और जो तलवे से सिला हुआ हो. जूती आज भारत में स्टाइल स्टेटमेंट बन चुकी है. 

जूती का इतिहास

जूती की शुरुआत मुगल काल से मानी जाती है. उस समय इन जूतों को राजा और रानियों द्वारा पहना जाता था और इन पर बारीक कढ़ाई, गोटा, मिरर वर्क और कीमती पत्थर जड़ा होता था. ये जूती चमड़े से बनाई जाती थीं और रॉयल लुक के लिए इन्हें बेहतरीन तरीके से सजाया जाता था. 

कैसे बनती है जूती?

जूती को बनाने के लिए चमड़े की जरूरत होती है. पहले जूती का बेस चमड़े से तैयार किया जाता है. फिर, इस चमड़े को खूबसूरत रंगों से रंगा जाता है और जूती को आकर्षक बनाया जाता है. फिर, मोची जूती के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ते हैं और सिलाई करते हैं. आखिरी में, इस पर कढ़ाई और सजावट की जाती है.

मोजरी

यह राजस्थान का ट्रेडिशनल और रॉयल जूता है, जिसे खुस्सा या सलीम शाही भी कहा जाता है. मोजरी को हाथ से बनाया जाता है और इसके तलवे फ्लैट होते हैं. 

मोजरी का इतिहास

माना जाता है कि मुगल काल में ही मोजरी की शुरुआत हुई थी और उस समय जहांगीर का शासन था, जिन्हें सलीम शाह भी कहा जाता था. यही वजह है कि मोजरी को सलीम शाह के नाम से भी जाना जाता है. शुरुआत में यह केवल पुरुषों द्वारा पहनी जाती थी और इसमें आगे नोक हुआ करती थी. समय के साथ, इसकी डिजायन में बदलाव हुआ और मोजरी को महिलाएं भी पहनने लगीं.

मोजरी कैसे बनी

मोजरी को बनाने के लिए, सबसे पहले बेस्ट क्वालिटी का चमड़ा चुना जाता है, जो काफी समय तक टिका रहे और पैरों को आराम दे. कारीगर इस पर ट्रेडिशनल डिजायनों की स्केचिंग करते हैं, जो आमतौर पर मुगलकालीन हस्तशिल्प से प्रेरित होते हैं. पहले चमड़े को सही आकार में काटा जाता है और हाथ से सिला जाता है. आखिरी में, मोजरी पर शीशे, धागों और मोतियों से सजाव की जाती है. आजकल लोग मोजरी को शादी-बारात, तीज-त्योहार में खूब पहनते हैं.

 

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