सद्गुरु ने बताया कौन-सा फैब्रिक है बच्चों के लिए बेस्ट, इस कपड़े को पहनाने से बचें

Fashion Tips In Hindi: गर्मियों के मौसम में बच्चों को कौन-से कपड़े पहनाने चाहिए और कौन- से नहीं ये फेमस आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु ने बताया है. वहीं उन्होंने ये भी बताया है कि कौन-सा फैब्रिक बच्चों को नहीं पहनाना चाहिए.

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Nidhi Sharma
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सद्गुरु

सद्गुरु Photograph: (Social Media)

Fashion Tips In Hindi: बच्चों के लिए बाजार में कई तरह के डिजाइनर कपड़े मौजूद हैं. जिससे बच्चों के लिए अलग-अलग फैब्रिक के कपड़े आते है. वहीं कुछ कपड़े ऐसे भी होते हैं जो कि बच्चों के शरीर को नुकसान पहुंचाता है. वहीं  प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु ने बताया कि बच्चों के लिए किस प्रकार के कपड़े सही होते है और किस  प्रकार के कपड़े उनके लिए हानिकारक होता है. फैशन के दौर में बच्चों के लिए बाजार में तरह-तरह के डिजाइनर कपड़े मौजूद हैं.

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बच्चों के लिए कौन-सा फैब्रिक बेस्ट 

कॉटन

गर्मियों के लिए बच्चों के लिए कॉटन सबसे बेस्ट होता है. यह त्वचा को सांस लेने और पसीना सोखता है. 

खादी 

खादी का कपड़ा पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि बच्चों के शरीर को ठंडा और आरामदायक रखता है. सद्गुरु के अनुसार, बच्चों का स्वास्थ्य और मानसिक विकास उनके पहनावे से भी प्रभावित होता है. इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को सिंथेटिक कपड़े पहनाने की बजाय कपास, खादी और ऊनी कपड़ों को प्राथमिकता दें.

त्वचा से संबंधित दिक्कत

सिंथेटिक कपड़े पॉलिएस्टर, नायलॉन और बाकी चीजों से बनाए जाते हैं. ये कपड़े त्वचा को सांस लेने का मौका नहीं देते है, जिससे बच्चों को पसीने, खुजली और रैशेज की दिक्कत होती है. 

ऊर्जा का प्रभाव

सद्गुरु के मुताबिक ऐसे कपड़े पहनाने से शरीर में ऊर्जा का प्रभाव कम होता है. जिसे प्राण ऊर्जा कहते हैं. वहीं जब बच्चे सिंथेटिक कपड़े पहनते हैं, तो यह ऊर्जा बाधित हो जाती है. इससे बच्चों की एकाग्रता और मानसिक शांति पर असर पड़ता है.

मनोवैज्ञानिक प्रभाव

सद्गुरु के मुताबिक बच्चों का मानसिक और मनोवैज्ञानिक विकास भी उनके पहनावे पर निर्भर करता है.जब बच्चे आरामदायक और प्राकृतिक कपड़े पहनते हैं, तो वे खुश और सक्रिय रहते हैं. वहीं, सिंथेटिक कपड़े पहनने से बच्चों में चिड़चिड़ापन, तनाव और असहजता महसूस हो सकती है.

शारीरिक तापमान

सिंथेटिक कपड़े गर्मियों में शरीर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देते और सर्दियों में गर्माहट नहीं बनाए रखते. इससे बच्चों के शरीर का तापमान संतुलित नहीं रहता, जिससे बीमारियां हो सकती हैं.

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