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Ranveer Allahbadia and Samay Raina Photograph: (news nation)
Ranveer Allahbadia and Samay Raina: यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया के अश्लील कमेंट की वजह से कॉमेडियन समय रैना का शो इंडियाज गॉट लेटेंट विवादों में आ गया है. पेरेंट्स के लिए अश्लील भाषा का उपयोग करने को लेकर दोनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा रही है. इस शो में अश्लीलता की सारी सीमाएं पार कर दी गई थी. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है वर्जित विषयों और अश्लील कंटेट को लेकर कुछ लोगों में इतना एक्साइटमेंट क्यों होता है. अश्लील कॉमेडी कोई नई चीज नहीं है. इसके बारे में कुछ लोगों का मत है कि अश्लील कंटेट देखने से तनाव कम होता है. क्या वाकई में ऐसा होता है. आइए जानते हैं इसके पीछे छुपे साइंटिफिक और मनोवैज्ञानिक कारण.
अश्लील कंटेट को लेकर मनोविज्ञान में भी जिक्र
कॉमेडी में अश्लील कंटेट को लेकर मनोविज्ञान में भी जिक्र देखने को मिलता है. इसके लिए वहां कई सारे टर्म्स हैं, जो मानते हैं कि रेस्ट्रिक्टेड बातों पर मजाक के बहाने चर्चा होनी चाहिए. इसे टैबू ह्यूमर भी कहते हैं. मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रायड ने साल 1905 में रिलीज थ्योरी को लेकर बात की थी. उनकी किताब जोक्स एंड देयर रिलेशन टू द अनकॉन्शियस में फ्रायड ने लिखा था कि हंसने से ब्रेन में जमा साइकिक एनर्जी बाहर निकलती है.
मजाक करने और सुनने से तनाव होता कम
फ्रायड के अनुसार हंसने से ब्रेन में जमा साइकिक एनर्जी बाहर निकलती है. अक्सर हमारे दिमाग में कई ऐसी चीजें जमा रहती हैं, जिनपर चर्चा को सामाजिक तौर पर गलत माना जाता है. लेकिन कॉमेडी के बहाने हम उसपर मजाक करते और सुनते हैं, जिससे दोनों ही पक्षों का तनाव कम हो जाता है, और दिमाग काफी हल्का-फुल्का महसूस करता है.
अचेतन मन को मिलता है आराम
मनोवैज्ञानिक के अनुसार यौन संबंध जैसे वर्जित विषयों पर नैतिक पाबंदियों के चलते लोग खुलकर बात नहीं करते हैं. लेकिन जब मजाक के बहाने इन विषयों पर बात होती है तो इससे अचेतन मन को आराम मिलता है. इसलिए सेक्सुअल या डार्क ह्यूमर को बेहद पसंद किया जाता है.
अश्लील कंटेट का साइंस से कनेक्शन
साइंस की दृष्टि से देखा जाए तो जब हम किसी सेक्सुअल जोक पर हंसते हैं तो ब्रेन में डोपामिन, एंडॉर्फिन और ऑक्सिटोसिन जैसे हॉर्मोन निकलते हैं. इससे लोगों को फील गुड होता है. इससे तनाव भी कम होता है. 2017 में मनोवैज्ञानिक जर्नल- इवॉल्यूशनरी साइकोलॉजी में एक रिसर्च छपी थी, जिसके मुताबिक डार्क ह्यूमर लोगों को एक-दूसरे के करीब भी लाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)