क्या 'वो' वाली वीडियो देखने से कम होता है तनाव? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

इन दिनों हर किसी ने 'वो' वाली वीडियो देखी होगी. वहीं कुछ लोगों को तो इसकी तलब भी होती है. कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि ऐसी वीडियो देखने से तनाव कम होता है.

इन दिनों हर किसी ने 'वो' वाली वीडियो देखी होगी. वहीं कुछ लोगों को तो इसकी तलब भी होती है. कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि ऐसी वीडियो देखने से तनाव कम होता है.

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Nidhi Sharma
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adult content Photograph: (Freepik)

इंटरनेट और स्मार्टफोन्स ने पोर्नोग्राफी को हर उम्र और वर्ग के लोगों तक पहुंचा दिया है, लेकिन यह एक ऐसी आदत है, जो लत में बदल जाती है. इसका असर सिर्फ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ही नहीं होता, बल्कि यह सामाजिक जीवन पर गहरा असर डाल सकती है. वहीं अब अश्लीलता ना सिर्फ वो वाली वीडियो तक सीमित रह गई है. बल्कि अब तो अश्लील कॉमेडी भी देखने को मिल रहा है. जिन्होंने अश्लीलता की सारी सीमाएं पार कर दी है. वहीं कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि अश्लील फिल्में और वीडियो देखने से तनाव कम होता है. क्या यह सच है या नहीं आइए आपको बताते हैं. 

एक्सपर्ट ने किया खुलासा 

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कॉमेडी में अश्लील कंटेट को लेकर मनोविज्ञान में भी जिक्र देखने को मिलता है. इसके लिए वहां कई सारे टर्म्स हैं, जो मानते हैं कि रेस्ट्रिक्टेड बातों पर मजाक के बहाने चर्चा होनी चाहिए. इसे टैबू ह्यूमर भी कहते हैं. मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रायड ने साल 1905 में रिलीज थ्योरी को लेकर बात की थी. उनकी किताब जोक्स एंड देयर रिलेशन टू द अनकॉन्शियस में फ्रायड ने लिखा था कि हंसने से ब्रेन में जमा साइकिक एनर्जी बाहर निकलती है.

इस चीज से कम होता है तनाव

फ्रायड के अनुसार हंसने से ब्रेन में जमा साइकिक एनर्जी बाहर निकलती है. अक्सर हमारे दिमाग में कई ऐसी चीजें जमा रहती हैं, जिनपर चर्चा को सामाजिक तौर पर गलत माना जाता है. लेकिन कॉमेडी के बहाने हम उसपर मजाक करते और सुनते हैं, जिससे दोनों ही पक्षों का तनाव कम हो जाता है, और दिमाग काफी हल्का-फुल्का महसूस करता है. 

इसलिए किया जाता है पसंद

मनोवैज्ञानिक के अनुसार यौन संबंध जैसे वर्जित विषयों पर नैतिक पाबंदियों के चलते लोग खुलकर बात नहीं करते हैं. लेकिन जब मजाक के बहाने इन विषयों पर बात होती है तो इससे अचेतन मन को आराम मिलता है. इसलिए सेक्सुअल या डार्क ह्यूमर को बेहद पसंद किया जाता है. 

साइंस के मुताबिक

साइंस की दृष्टि से देखा जाए तो जब हम किसी सेक्सुअल जोक पर हंसते हैं तो ब्रेन में डोपामिन, एंडॉर्फिन और ऑक्सिटोसिन जैसे हॉर्मोन निकलते हैं. इससे लोगों को फील गुड होता है. इससे तनाव भी कम होता है. 2017 में मनोवैज्ञानिक जर्नल- इवॉल्यूशनरी साइकोलॉजी में एक रिसर्च छपी थी, जिसके मुताबिक डार्क ह्यूमर लोगों को एक-दूसरे के करीब भी लाता है. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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