क्या बालों के रूसी से बढ़ सकता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा? रिसर्च में जानिए क्या हुआ खुलासा

बालों में होने वाली हैडफ (रुसी) से कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती है. हाल में हुए रिसर्च में ये खुलासा हुआ है. जानें इसके पीछे का कारण इस आर्टिकल में.

बालों में होने वाली हैडफ (रुसी) से कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती है. हाल में हुए रिसर्च में ये खुलासा हुआ है. जानें इसके पीछे का कारण इस आर्टिकल में.

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Priya Gupta
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Can dandruff increase

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बालों में रूसी की समस्या आम सी हो गई है. इस समस्या से ज्यादातर लोग परेशान है लेकिन अबतक बालों की समस्या नजर आ रही थी, लेकिन एक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि बालों के रूसी की वजह से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा हो सकता है. बालों में होने वाली हैडफ (रुसी) से कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती है. हाल ही में हुए स्टडी में ये दावा किया गया है कि, रूसी मालासेजिया ग्लोबोसा की वजह से ये होता है, इससे त्वचा में फंगस हो सकता है जिससे स्तन कैंसर का जोखिम है. चीनी वैज्ञानिकों को मालासेजिया ग्लोबोसा स्तन के उन उत्तकों तक पहुंच जाती है जहां से ट्यूमर होने का खतरा होता है. तेल को खत्म करता है फंगस: मालासेजिया बालों में मौजूद तेलों को खाकर ओलेइक एसिड पैदा करता है. तेल खत्म होने से त्वचा में खुजली हो सकती है, सूखी परतें झड़ने लगती है, जिसे हम रूसी कहते हैं. 

स्टडी में हुआ ये खुलासा

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अध्ययन के नतीजे जर्नल एमबायों में प्रकाशित किए गए. इससे पहले भी कई सूक्ष्मजीवों का पता चलता है जो कैंसर जैसे रोद का कारण बनते हैं. स्टडी के दौरान स्तन कैंसर उत्तकों के विशेषज्ञ ने ट्यूमर में मालोसेजिया ग्लोबोसा को डाला और इसका परीक्षण किया. ये फंगस के साथ ग्रुप में शामिल हो गए और इनके बढ़ते की स्पीड तेज हो गई. हेबेई यूनिवर्सिटी में लाइफ साइंसेज के विशेषज्ञ और स्टडी के लेखक प्रोफेसर क्वी मिंग वांग ने कहा कि स्टडी के नतीजे उपचार के तरीकों में सहायक साबित होंगे. उन्होंने कहा केवल सुंदरता के लिए त्वचा का ध्यान रखना जरूरी नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी काफी जरूरी है. उन्होंने ये भी बताया कि सूक्ष्म जीव से होने वाले कैंसर को लेकर आगे और शोध और स्टडी की जरूरत है. 

भारत में हर साल दो लाख मामले सामने आते हैं.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् के अनुसार, भारत में स्तन कैंसर की जांच के बाद पांच साल तक जीवित रहने की दर 66.4 प्रतिशत है. यह अमेरिका जैसे देशों की तुलना में बेहद कम है. विकसित देशों में 90 प्रतिशत से अधिक महिलाएं जांच के पांच साल बाद भी जीवित रहती है. ये निष्कर्ष वैज्ञानिकों के नेतृत्व में सबसे बड़े जनसंख्या आधारित कैंसर पर रिसर्च के निकाल गए थे.

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