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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। अरहर, मूंग, मसूर, चना, उड़द दालें तो हम रोज खाते हैं, लेकिन एक दाल ऐसी भी है जो औषधि से कम नहीं। इसका नाम कुल्थी की दाल है। इसे डाइट में शामिल कर आप कई बीमारियों से बच सकते हैं।
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय कुल्थी की दाल को सुपरफूड बताता है। आयुर्वेद में सदियों से कुल्थी का इस्तेमाल पथरी, डायबिटीज, मोटापा और जोड़ों के दर्द जैसी कई बीमारियों को मात देने के लिए किया जाता रहा है। कुल्थी की दाल को पत्थरचट के नाम से भी जाना जाता है, यह पत्थर (पथरी) को भी गला देता है।
कुल्थी दाल में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण भरपूर होते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट बहुत कम और प्रोटीन-फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है। यही वजह है कि यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में बेहतरीन काम करती है। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह एक प्राकृतिक दवा की तरह काम करती है। कुल्थी में मौजूद विशेष तत्व पथरी को घोलने और बाहर निकालने में मदद करते हैं। रोजाना कुल्थी की दाल का सूप या जूस पीने से पथरी धीरे-धीरे टूटकर मूत्र मार्ग से आसानी से बाहर निकल जाती है।
इसे प्राकृतिक स्टोन-ब्रेकर भी कहा जाता है। यह दाल वजन घटाने में भी कमाल है। कम कार्ब और ज्यादा फाइबर होने से यह लंबे समय तक पेट भरा रखती है और भूख कम लगती है। मोटापे से परेशान लोग इसे डाइट में शामिल कर तेजी से वजन घटा सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, कुल्थी की दाल या जूस वात रोगों में भी राहत देता है। जोड़ों का दर्द, गठिया, कमर दर्द और घुटनों की सूजन में इसे पीने से आराम मिलता है। इसके अलावा, यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है, जिससे कब्ज की समस्या दूर होती है और शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालती है।
सस्ती, आसानी से मिलने वाली और बिना साइड इफेक्ट वाली कुल्थी दाल प्रकृति का दिया अनमोल उपहार है, जिसे रात भर भिगोकर, फिर उबालकर खाने या इसका पानी पीने से और भी लाभ मिलता है। किडनी में बड़ी पथरी या कोई गंभीर बीमारी होने पर डॉक्टर की सलाह के बिना इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
--आईएएनएस
एमटी/एबीएम
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