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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
तिरुवनंतपुरम, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। केरल में सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों ने सोमवार को बाह्य रोगी (ओपी) सेवाओं का बहिष्कार किया, जबकि मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टरों और स्नातकोत्तर डॉक्टरों की सेवाएं जारी रहेंगी।
केरल सरकारी मेडिकल कॉलेज शिक्षक संघ (केजीएमसीटीए) ने कहा है कि सरकार से बार-बार अपील करने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के बाद हड़ताल का आह्वान किया गया है।
उन्होंने कहा कि हमारी मांगों में वेतन संशोधन लागू करना, मरीजों की संख्या के अनुपात में पर्याप्त डॉक्टरों की नियुक्ति करना और मनमाने तबादलों पर रोक लगाना शामिल है। अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले समय में और बड़ा आंदोलन हो सकता है।
2 अक्टूबर को, केजीएमसीटीए ने संकायों में बढ़ती निराशा को दिखाने के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों में शाम 6.30 बजे राज्यव्यापी मोमबत्ती जलाकर विरोध प्रदर्शन और धरना आयोजित किया था। इसके बाद 10 अक्टूबर को राज्यव्यापी धरना दिया गया था, जिसमें संघ ने चेतावनी दी कि अगर सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तो वह और कड़ी कार्रवाई करेगा।
केरल में 12 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं जो एमबीबीएस कार्यक्रम प्रदान करते हैं, जिनमें कुल 1,755 एमबीबीएस सीटें हैं। ये संस्थान राज्य की चिकित्सा शिक्षा की रीढ़ हैं और इसके सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
एक प्रदर्शनकारी डॉक्टर ने आईएएनएस से कहा, हम लंबे समय से लंबित मुद्दों को उठा रहे हैं, जिनमें बकाया वेतन, लंबित महंगाई भत्ते का बकाया, प्रवेश स्तर के कैडर वेतन में विसंगतियां और हाल ही में स्थापित मेडिकल कॉलेजों में नए शिक्षण पद सृजित न करना शामिल है। संकाय सदस्यों की संख्या बढ़ाने के बजाय, मौजूदा कर्मचारियों के स्थानांतरण ने कमी को और बढ़ा दिया है, जिससे चिकित्सा शिक्षा और रोगी देखभाल दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
केजीएमसीटीए के अधिकारियों ने बताया कि इन चुनौतियों ने युवा डॉक्टरों को इस प्रणाली में शामिल करने में भी बाधा डाली है। संकाय ने इससे पहले 22 सितंबर को काला दिवस ​​विरोध प्रदर्शन और 23 सितंबर को राज्यव्यापी धरना दिया था।
उन्होंने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल के आश्वासन के बावजूद, उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर मुद्दे अनसुलझे रहे, तो वे क्रमिक हड़ताल शुरू करेंगे, जो उचित वेतन, स्टाफिंग और बेहतर कामकाजी परिस्थितियों की मांग को लेकर मेडिकल कॉलेज के संकायों में बढ़ती अशांति को दिखाता है।
--आईएएनएस
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