लखनऊ, 14 जुलाई (आईएएनएस)। सावन के पहले सोमवार को पूरे देश में शिवभक्ति की अलौकिक छटा देखने को मिली। उत्तर प्रदेश के काशी, प्रयागराज, गोरखपुर, महाराजगंज, जौनपुर समेत हर जिले के शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।
श्रद्धालुओं ने गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक कर भोलेनाथ से आशीर्वाद मांगा। कई स्थानों पर वर्षों पुरानी परंपराएं निभाई गईं, तो कहीं दिव्यांग श्रद्धालुओं ने भी अपने अदम्य उत्साह से आस्था की मिसाल पेश की।
वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन की पहली सोमवारी पर यादव समुदाय की ऐतिहासिक परंपरा निभाई गई। हजारों यादव श्रद्धालु डमरू बजाते हुए गंगाजल से बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने पहुंचे।
मान्यता है कि यह परंपरा उस समय शुरू हुई जब देश में सूखा पड़ा था और महात्माओं की सलाह पर जलाभिषेक करने से वर्षा हुई। इस बार करीब 20,000 श्रद्धालुओं ने भाग लिया। हालांकि, व्यवस्था को देखते हुए गर्भगृह में केवल 21 श्रद्धालुओं को ही प्रवेश मिला।
प्रयागराज के दशाश्वमेध घाट से कांवर यात्रा पर निकले दिव्यांग श्रद्धालुओं ने आस्था की मिसाल कायम की। प्रतापगढ़ जिले से एक दिव्यांग कांवरिया, जो दोनों पैरों से असमर्थ हैं, भोलेनाथ की भक्ति में पूरी श्रद्धा के साथ बोल बम का जयकारा लगाते हुए रवाना हुए।
भारत-नेपाल सीमा से सटे इटहियां धाम में पंचमुखी शिवलिंग पर श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। पूर्वांचल और नेपाल से आए हजारों भक्तों की भीड़ सुबह से मंदिर में उमड़ पड़ी। करीब 300 पुलिसकर्मी सुरक्षा में तैनात रहे। मंदिर की स्थापना निचलौल स्टेट के राजा वृषभसेन द्वारा की गई थी, जब उनकी गाय नंदिनी ने एक झाड़ी पर दूध चढ़ाया और वहां पंचमुखी शिवलिंग प्राप्त हुआ।
गोरखपुर के झारखंडी मंदिर, मानसरोवर मंदिर और प्राचीन मुक्तेश्वर नाथ मंदिर समेत सभी प्रमुख शिवालयों में भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। श्रद्धालु सुबह से ही जलाभिषेक के लिए अपनी बारी का इंतजार करते रहे। भोलेनाथ को बेलपत्र, पान, दूध, दही आदि चढ़ाकर भक्तों ने पूजा-अर्चना की।
सावन की पहली सोमवारी और कांवर यात्रा को देखते हुए जौनपुर में पुलिस ने सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए। मंदिरों और यात्राओं की निगरानी ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से की जा रही है।
इसी तरह, मऊ के 700 साल प्राचीन गौरी शंकर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। कोपागंज शिव मंदिर, जिसे गौरीशंकर मंदिर भी कहा जाता है, वाराणसी-गोरखपुर मार्ग पर कोपागंज में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर अपनी धार्मिक मान्यता और ऐतिहासिकता के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि सच्चे मन से मांगी गई सभी मन्नतें पूरी होती हैं।
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