कम नींद 'साइलेंट हेल्थ क्राइसिस', ये दबे पांव सेहत कर रही खराब

कम नींद 'साइलेंट हेल्थ क्राइसिस', ये दबे पांव सेहत कर रही खराब

कम नींद 'साइलेंट हेल्थ क्राइसिस', ये दबे पांव सेहत कर रही खराब

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IANS
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London, June 14 (IANS) People are sleeping for longer hours during lockdowns and work from home scenario as they do not need to travel to workplaces but the quality of sleep has become worse in many, reveals new research.

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 16 नवंबर (आईएएनएस)। आज पूरी दुनिया के डॉक्टर और वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि नींद की कमी धीरे-धीरे एक साइलेंट हेल्थ क्राइसिस बन चुकी है। पहले नींद को आराम या आदत माना जाता था, लेकिन अब शोध यह दिखाते हैं कि कम नींद का सीधा असर दिमाग, दिल, इम्यून सिस्टम और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।

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अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) ने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य की उभरती हुई समस्या बताया है। उनकी रिपोर्ट के अनुसार लगभग हर तीन में से एक वयस्क रोजाना पर्याप्त नींद नहीं ले पा रहा। भारत में किए गए एक बड़े सर्वे में पाया गया कि युवा वर्ग में यह समस्या सबसे अधिक बढ़ी है, जहां रात देर तक फोन का इस्तेमाल, ओवरवर्क, तनाव और अनियमित दिनचर्या नींद का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुके हैं।

दिमाग पर कम नींद का असर कई अध्ययनों में साफ तौर पर देखा गया है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले की एक स्टडी में बताया गया कि एक रात की खराब नींद भी याददाश्त, निर्णय लेने की क्षमता और सीखने की गति को 40 प्रतिशत तक कम कर सकती है। वैज्ञानिक यह भी बताते हैं कि कम नींद में मस्तिष्क के वह हिस्से सक्रिय हो जाते हैं जो चिंता और डर को बढ़ाते हैं, जिससे व्यक्ति छोटी बातों में भी तनाव महसूस करने लगता है। यही वजह है कि नींद की कमी वाले लोगों में एंग्जाइटी और डिप्रेशन की आशंका दुगनी पाई गई है।

दिल और शरीर पर भी इसके गंभीर परिणाम सामने आए हैं। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च बताती है कि जो लोग 5 घंटे से कम सोते हैं, उनमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 30–40 फीसदी बढ़ जाता है। नींद की कमी शरीर में सूजन बढ़ा देती है, जिससे ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल गड़बड़ा सकते हैं। कई डॉक्टर बताते हैं कि नींद की कमी मोटापे को भी बढ़ाती है, क्योंकि देर से सोने पर भूख बढ़ाने वाला हार्मोन “घ्रेलिन” बढ़ जाता है और शरीर को गलती से कैलोरी की जरूरत महसूस होने लगती है। यही कारण है कि कम सोने वाले लोग रात में जंक फूड ज्यादा खाते हैं।

किशोरों और युवाओं में तो नींद की कमी लगभग महामारी के रूप में दिख रही है। द लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन ने बताया कि किशोरों में सोशल मीडिया, रात देर तक सक्रिय रहना और स्क्रीन की नीली रोशनी नींद को 60–90 मिनट तक कम कर देती है। भारत में किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि 70 प्रतिशत से ज्यादा छात्र देर रात तक मोबाइल का उपयोग करते हैं, जिससे उनके नींद चक्र पर गंभीर असर पड़ता है। यह आदत आगे चलकर मानसिक थकान, चिड़चिड़ेपन, कम एकाग्रता और अकादमिक प्रदर्शन में गिरावट का कारण बनती है।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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