झारखंड : प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत रामगढ़ के बंद कोयला खदान में हो रहा मछली पालन

झारखंड : प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत रामगढ़ के बंद कोयला खदान में हो रहा मछली पालन

झारखंड : प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत रामगढ़ के बंद कोयला खदान में हो रहा मछली पालन

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IANS
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झारखंड : प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत रामगढ़ के बंद कोयला माइंस में हो रहा मछली पालन

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

रामगढ़, 28 जून (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री मस्तस्य संपदा योजना के तहत रामगढ़ में कोयले के बंद पड़े खदान में केज के माध्यम से मछली पालन हो रहा है। यहां भी मछली उत्पादन ठीक जलाशय की तरह हो रहा है। इससे स्थानीय स्तर पर आय और रोजगार बढ़ा है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए रामगढ़ के जिला मत्स्य पदाधिकारी अरुप चौधरी ने कहा कि यहां के बहुत से लोग पूर्व से मछली पालन में प्रशिक्षित हैं। भारत सरकार की एनएमपीएस योजना के तहत केज कल्चर लाया गया। केज कल्चर को देख यहां के लोग काफी प्रभावित हुए। केज कल्चर सिर्फ जलाशयों में चलता था। लोगों ने कहा कि बंद खदान में पानी है और हमारे पास आय कोई स्त्रोत नहीं है। अगर खदान में केज दिया जाए तो हम मछली उत्पादन कर सकते हैं।

2013-14 में ट्रायल के तौर पर एक केज उन्हें दिया गया। इन लोगों ने मेहनत किया और जलाशय की तरह मछली उत्पादन किया । इसके बाद राज्य सरकार ने भी माइंस में केज लगाने की अनुमति दे दी और फिर जिला प्रशासन से भी अनुमति मिल गई। स्थानीय लोग सफलतापूर्वक केज कल्चर से मछली उत्पादन कर रहे हैं और आय के साथ ही रोजगार का सृजन कर रहे हैं।

झारखंड में उत्पादित मछली को पटना, सासाराम, गया भेजा जा रहा है। प्रत्यक्ष रूप से 68 परिवार इससे जुड़े हुए हैं। कुछ लोग मार्केटिंग में भी जुड़े हुए हैं। अभी दो बंद खदान को एक्सप्लोर किया गया है। आने वाले समय में और भी खदान में केज कल्चर के माध्यम से मछली उत्पादन किया जाएगा।

शशिकांत महतो ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि 1999 से यहां खदान बंद था, 2010 में हमने पहली बार मछली पालन यहां किया था, तब खुद पैसा निवेश किया था। 2012 से केज के माध्यम से हम मछली उत्पादन कर रहे हैं। यहां पर 68 केज में हम मछली उत्पादन कर रहे हैं। हमारे गांव में ढाई सौ घर हैं, जिसमें से 100 लोगों का घर इसी मछली पालन केज प्रक्रिया से हुई आय से चल रहा है।

--आईएएनएस

पीएके/जीकेटी

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