रांची/नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस)। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित झारखंड भवन में एक संक्षिप्त समारोह में संथाल हूल क्रांति के शहीदों सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर टुंडी इलाके के झामुमो के वरिष्ठ विधायक मथुरा महतो और गांडेय की विधायक कल्पना सोरेन सहित कई लोग उपस्थित रहे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा, “30 जून का दिन भारत के इतिहास में आदिवासी समाज के बलिदान और स्वतंत्रता की पहली चिंगारी के रूप में दर्ज है। वर्ष 1855 में शुरू हुई हूल क्रांति भारत की आज़ादी की नींव रखने वाला पहला जनविद्रोह था। यह सिर्फ ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ाई नहीं थी, बल्कि जल, जंगल और जमीन के अधिकार की मांग भी थी। हमारे पूर्वजों ने विषम परिस्थितियों में देश की परिकल्पना की। ऐसे महापुरुषों को भुलाना किसी भी समाज के लिए उचित नहीं है।”
सोरेन ने कहा, “संथाल हूल विद्रोह के महानायक अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो और हजारों वीर शहीदों के संघर्ष और समर्पण के पदचिन्हों पर चलने वाले आदरणीय बाबा दिशोम गुरु शिबू सोरेन अभी अस्वस्थ हैं। इस कारण मैं इस बार भोगनाडीह की क्रांतिकारी भूमि पर नहीं आ पाया।”
सोरेन ने कार्यक्रम की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर करते हुए लिखा, “हूल दिवस हमारे लिए सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम नहीं है। हूल दिवस हमारे लिए संकल्प का दिन है, हूल हमारी ताकत है, हूल हमारी पहचान है। आने वाले समय में आदिवासी धर्म कोड, आदिवासी संस्कृति, भाषा, सभ्यता और पहचान के लिए हूल उलगुलान होगा।”
उन्होंने कहा, “गुरुजी ने भी जमींदारी प्रथा के खिलाफ और आदिवासी अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। प्रदेश की जनता उनकी लंबी उम्र की कामना कर रही है और उनकी छत्रछाया हम सभी पर बनी रहे।”
मुख्यमंत्री सोरेन ने झारखंड भवन में आयोजित कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात की। उन्होंने झारखंड में लगातार बारिश के बारे में कहा कि अतिवृष्टि हमारे लिए चिंता का विषय है। स्थिति पर सरकार की नजर है। आपदा प्रभावित लोगों की मदद के लिए सरकार हमेशा खड़ी रहती है।
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