जापान के हिरोशिमा में वसुधैव कुटुंबकम की गूंज, भारतीय समुदाय ने किया शांति संदेश का प्रसार

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IANS
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जापान के हिरोशिमा में वसुधैव कुटुंबकम की गूंज, भारतीय समुदाय ने किया शांति संदेश का प्रसार

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)। जापान के हिरोशिमा में भारतीय प्रवासी समुदाय और हिरोशिमा-नागासाकी परमाणु हमले के जीवित बचे लोगों ने मिलकर वैश्विक शांति का संदेश दिया। इस अवसर पर सेवा पखवाड़ा के तहत हिरोशिमा पीस मेमोरियल में परमाणु हमलों के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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भारतीय अल्पसंख्यक महासंघ के संयोजक सांसद सतनाम सिंह संधू और प्रोफेसर हिमानी सूद के नेतृत्व में भारतीय प्रवासी समुदाय ने पुष्पांजलि अर्पित की। प्रतिभागियों ने मानव श्रृंखला बनाकर प्रधानमंत्री मोदी के वसुधैव कुटुंबकम और विश्व शांति के दृष्टिकोण की प्रशंसा की।

इस दौरान हिरोशिमा सर्वाइवर्स की जापानी एनजीओ पीस कल्चर विलेज के प्रमुख केंटा सुमिओका ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही दुनिया को शांति और वैश्विक सहयोग के मार्ग पर ले जा सकते हैं। आज दुनिया को ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो युद्ध और हिंसा से ऊपर उठकर मानवता की एकता का मार्ग प्रशस्त कर सके।

कार्यक्रम में मौजूद भारतीय प्रवासी और जापानी संगठन के सदस्यों ने बेल ऑफ पीस (शांति घंटी) 75 बार बजाकर वैश्विक शांति का संदेश फैलाया। यह अनुष्ठान प्रधानमंत्री मोदी की उस सोच का प्रतीक बताया गया जिसमें वे वसुधैव कुटुम्बकम को अंतरराष्ट्रीय सहयोग और शांति की आधारशिला मानते हैं।

हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले के 80 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम ने न केवल पीड़ितों की स्मृति को नमन किया बल्कि दुनिया को यह संदेश भी दिया कि शांति, सेवा और सहयोग ही मानवता का भविष्य है।

बता दें कि 6 अगस्त, 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर अमेरिका ने पहला परमाणु बम लिटिल ब्वॉय गिराया था, जिसने लाखों लोगों की जिंदगी छीन ली और पूरे शहर को तबाह कर दिया। इस त्रासदी ने विश्व को परमाणु हथियारों की भयावहता से परिचित कराया। हिरोशिमा पर हुआ हमला मानव इतिहास की सबसे विनाशकारी घटनाओं में से एक था। सुबह 8:15 बजे गिराए गए इस बम ने कुछ ही पलों में हजारों लोगों की जान ले ली और शहर को मलबे में तब्दील कर दिया।

अनुमान के मुताबिक इस हमले में लगभग 1,40,000 लोग मारे गए थे, और जो बचे, वे रेडिएशन के दुष्प्रभावों से जूझते रहे।

--आईएएनएस

पीएसके

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