नई दिल्ली, 22 जून (आईएएनएस)। भारत में क्रिकेट को सर्वाधिक लोकप्रिय खेल का दर्जा प्राप्त है। लेकिन, कई ऐसे खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने दूसरे खेलों के माध्यम से अपनी पहचान बनाई। इन्हीं में से एक नाम है मशहूर फुटबॉलर प्रदीप कुमार बनर्जी का।
प्रदीप का जन्म 23 जून 1936 को जलपाईगुड़ी में हुआ था। बंगाल भारतीय फुटबॉल का गढ़ रहा है। इसका असर कहीं न कहीं प्रदीप पर पड़ा और उन्होंने भी इसी खेल को करियर बनाने का फैसला लिया।
15 साल की उम्र में वह बिहार के लिए संतोष ट्रॉफी खेले थे। बाद में इसी प्रतियोगिता में उन्होंने रेलवे और बंगाल टीम का भी प्रतिनिधित्व किया। 19 साल की उम्र में उन्होंने 1955 में भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया। वह स्ट्राइकर के तौर पर खेलते थे। वह टोक्यो में 1958 में खेले गए एशियन गेम्स, 1962 में जकार्ता में खेले गए एशियन गेम्स, जिसमें भारतीय टीम ने गोल्ड जीता था और बैंकॉक में 1966 में खेले गए एशियन गेम्स का हिस्सा थे। मेलबर्न में 1956 में खेले गए समर ओलंपिक में भी वे खेले थे। 1960 में रोम में हुए ओलंपिक में वह भारतीय टीम के कप्तान थे।
उनके बारे में कहा जाता था कि उनकी गति बहुत तेज थी। उनकी सबसे बड़ी खूबी यह थी कि वे बॉक्स के अंदर से या बाहर से स्कोर कर सकते थे। उनके पास एक अच्छा हेडर भी था और वे एक अच्छे पासर भी थे, जो विंग से अपने साथियों को सटीक क्रॉस के साथ सेट करते थे।
1955 से 1966 के बीच वह भारतीय टीम के लिए 52 मैच खेले, जिसमें 16 गोल किए। संन्यास के बाद वह कोचिंग के क्षेत्र में आए। 1972 से 2004 के बीच उन्होंने ईस्टर्न रेलवे, ईस्ट बंगाल, मोहन बगान, मोहम्मडन स्पोर्टिंग की कोचिंग की। 1971 से 1974 और 1985 से 1986 के बीच वह भारतीय टीम के कोच थे।
भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित किया था। 20 मार्च 2020 को उनका निधन हो गया था।
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