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कठुआ गैंगरेप-मर्डर केस : जानें कैसे दिया जघन्य वारदात को अंजाम, किसका क्या था ROLE

कोर्ट ने 6 लोगों को दोषी करार दियाहै. सांची राम समेत तीन दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई, वहीं तीन दोषियों को 5-5 साल कैद की सजा सुनाई

Updated on: 10 Jun 2019, 07:03 PM

नई दिल्ली:

कठुआ गैंगरेप और हत्या के मामले में कोर्ट ने सजा का ऐलान कर दिया. मामले की सुनवाई पठानकोट कोर्ट में चल रही थी. कोर्ट ने 6 लोगों को दोषी करार दियाहै. सांची राम समेत तीन दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई. वहीं तीन दोषियों को 5-5 साल कैद की सजा सुनाई. उधर मुख्य दोषी सांची राम के बेटे विशाल (सातवें आरोपी) को बरी कर दिया गया है. बता दें कि पूरे मामले की सुनवाई बंद कमरे में चल रही थी.

इस मामले में सात आरोपी थे, जिसमें से 6 को दोषी करार दिया गया. वहीं एक को बरी कर दिया गया. मंदिर के पुजारी और ग्राम प्रधान सांझी राम, विशेष पुलिस अधिकारी प्रवेश कुमार और दीपक खजूरिया को उम्रकैद की सजा सुनाई. एसपीओ सुरेन्द्र कुमार, सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और हेड कांस्टेबल तिलक राज को पांच-पांच साल कैद की सजा मिली.

दोषियों ने इस तरह से दिया वारदात को अंजाम

मुख्य दोषी सांजी राम, सजा- उम्रकैद

मुख्य दोषी सांजी राम गांव के निकट मंदिर का संरक्षण करता था. इस मंदिर पर ही नाबालिग के साथ गैंगरेप किया गया था. सांजी ने इस खौफनाक वारदात को अंजाम देने की साजिश रची थी. उसने ही अपने भतीजे को बच्ची की अपहरण करने के लिए कहा था. उसे कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है.

दीपक खजूरिया, सजा- उम्रकैद

विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया शुरू से ही मुख्य दोषी सांजी राम के साथ हर एक साजिश रचने में लिप्त था. पुलिस अधिकारी होने के नाते उसने मामले को दबाने की कोशिश की. दोषी दीपक ने पीड़िता की हत्या से पहले एक बार और रेप करने की इच्छा जताई थी. वह पीड़िता को लगातार नशीली दवा देकर रेप करता था. खजूरिया को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है.

परवेश कुमार, सजा- उम्रकैद की सजा

सांजी राम के 'नाबालिग' भतीजे के दोस्त परवेश पर आरोप थे कि उसने 'नाबालिग' के साथ मिलकर बच्ची को अगवा किया था. आरोपों के मुताबिक, सांजी राम के निर्देश पर इन्होंने बच्ची को ‘देवस्थान’ ले जाकर बंधक बनाया था. परवेश को RPC की धारा 302 (हत्या) और 376-D (गैंगरेप) के तहत दोषी ठहराया गया है.

सुरेंद्र कुमार, सजा- 5 साल की कैद

सुरेंद्र ने इस दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम देने के लिए खजूरिया का साथ दिया था. उसने खजूरिया को मंदिर के पास बकरवाल समुदाय के मूवमेंट और बच्ची की स्थिति के बारे में बताया था. सुरेंद्र ने भी इस मामले को दबाने की कोशिश की थी. सुरेंद्र को पांच साल कैद की सजा सुनाई है.

आनंद दत्ता, सजा- 5 साल की कैद

सब इंस्पेक्टर दत्ता ने बच्ची की हत्या की शुरुआती जांच की थी. आरोपों के मुताबिक, उसे मामले की साजिश के बारे में पता था और उसने केस को दबाने के लिए सांजी राम से रिश्वत भी ली थी. दत्ता को RPC की धारा 201 (सबूतों से छेड़छाड़) के तहत दोषी ठहराया गया है.

तिलक राज, सजा- 5 साल की कैद

हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज पर आरोप थे कि उसने सांजी राम से आनंद दत्ता को रिश्वत दिलाने में मदद की थी, उसने बच्ची के कपड़ों से मिट्टी/खून/स्पर्म निकालने के लिए उनको धोने में भी मदद की थी. वह इस मामले में इन्वेस्टिंग और सर्च टीम का हिस्सा था. तिलक राज को RPC की धारा 201 (सबूतों से छेड़छाड़) के तहत दोषी ठहराया गया है.

15 पन्नों के आरोपपत्र के अनुसार, 10 जनवरी 2018 को नाबालिग को अगवा कर कठुआ जिले के एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर दुष्कर्म किया गया. चार दिनों तक बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया. इसके बाद पत्थरों से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले की रोजाना सुनवाई पंजाब के पठानकोट में चल रही थी. पठानकोट में पिछले साल जून के पहले सप्ताह में सुनवाई शुरू हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के ट्रांसफर का आदेश दिया था.

सांजी राम-उम्रकैद

दीपक खजूरिया- उम्रकैद 

परवेश- उम्र कैद

तिलक राज-पांच साल की सजा

आनंद दत्ता-पांच साल की सजा

सुरेंद्र कुमार-पांच साल की सजा- पुलिस ऑफिसर