जब वोट का अधिकार ही छिन जाएगा, तो लोकतंत्र कैसे बचेगा: चंद्रशेखर आजाद

जब वोट का अधिकार ही छिन जाएगा, तो लोकतंत्र कैसे बचेगा: चंद्रशेखर आजाद

जब वोट का अधिकार ही छिन जाएगा, तो लोकतंत्र कैसे बचेगा: चंद्रशेखर आजाद

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IANS
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जब वोट का अधिकार ही छिन जाएगा, तो लोकतंत्र कैसे बचेगा: चंद्रशेखर आजाद

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

पटना, 21 जुलाई (आईएएनएस)। आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं नगीना से लोकसभा सांसद चंद्रशेखर ने सोमवार को मतदाता सूची के पुनरीक्षण मामले पर कहा कि जब वोट का अधिकार ही छीन लिया जाएगा, तो लोकतंत्र की रक्षा कैसे होगी?

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पटना में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि कल सर्वदलीय बैठक हुई थी, जिसमें भी मतदाता पुनरीक्षण को लेकर चर्चा हुई थी। जिस तरह से धांधली की बात सामने आई है, उसमें बीएलओ मरे हुए आदमी का खुद साइन करके फॉर्म जमा कर रहे हैं। इस तरह की धांधली के साथ कैसे लोकतंत्र की रक्षा होगी?

उन्होंने कहा, सरकार के सामने बड़ा सवाल है और चुनाव आयोग को जवाब देना है। यह सवाल केवल यहीं नहीं है, पूरे देश में पूछा जा रहा है। आज अगर यहां हम चुप रहेंगे तो फिर कल उत्तर प्रदेश में होगा, दूसरे प्रदेशों में होगा। कहीं भी गलत होगा, तो उसके खिलाफ आवाज उठानी पड़ेगी। यह गलत हो रहा है और पहली बार हो रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। इसके लिए सरकार को जवाब देना चाहिए। चुनाव आयोग इस पर संज्ञान लेकर इसे सही करे, जिससे जनभावनाओं के अंदर विरोध दर्ज न हो कि हमारे वोट की चोरी हो सकती है।

‎कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के मेक इन इंडिया को असेंबल इंडिया बताए जाने को लेकर सांसद आजाद ने कहा कि वे अपने शब्दों पर कंट्रोल करें। इंडिया बहुत बड़ा है, किसी एक पार्टी और किसी दल और संगठन का नहीं है। ‎उन्होंने कहा, मैं स्पष्ट कहूंगा, सभी पार्टियों का अपना-अपना मत है। आजाद समाज पार्टी अपने मत के साथ है कि बिहार में 58 प्रतिशत युवा हैं और सबसे ज्यादा पलायन यहीं से हो रहा है। आप देश के किसी कोने में चले जाएं। यहां का पढ़ा-लिखा नौजवान रोजगार के लिए कहां-कहां नहीं भटकता है? कोरोना काल में सभी ने देखा है कि किस तरह से बिहार के लोगों को परेशान होना पड़ा है। ‎

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के पास संकल्प की कमी है। रोजगार नहीं दे पा रही है। सबने देखा है कि पांच युवक बंदूक लेकर अस्पताल में घुसते हैं और चंदन मिश्रा को गोली मारकर चले जाते हैं। बाद में पुलिस के अधिकारी पूरे किसानों को कटघरे में खड़ा कर देते हैं। अधिकारियों की जो भाषा है, वह सरकार की भाषा है। इससे स्पष्ट होता है कि यहां की सरकार किसानों का अपमान कर रही है। आने वाले चुनाव में किसान इसका जवाब देंगे।

--आईएएनएस

‎एमएनपी ‎/डीएससी ‎ ‎ ‎

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