YouTube की नई Policy से क्रिएटर्स को हुई टेंशन, अब हर Video से नहीं होगी कमाई

इस पॉलिसी के तहत अब ऐसा कंटेंट जिसे स्पैम की तरह देखा जा सकता है. बार-बार दोहराया जाता है या फिर जिसे बहुत बड़े पैमाने पर बिना किसी बदलाव के अपलोड किया जाता है. वह अब YouTube से पैसा नहीं कमा सकेंगे.

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Mohit Sharma
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इस पॉलिसी के तहत अब ऐसा कंटेंट जिसे स्पैम की तरह देखा जा सकता है. बार-बार दोहराया जाता है या फिर जिसे बहुत बड़े पैमाने पर बिना किसी बदलाव के अपलोड किया जाता है. वह अब YouTube से पैसा नहीं कमा सकेंगे.

5 जुलाई से YouTube की मोनेटाइजेशन पॉलिसी में बदलाव लागू हो गए हैं. यह बदलाव YouTube पार्टनर प्रोग्राम के तहत किए गए हैं. जिससे अब कंटेंट क्रिएटर्स को अपने वीडियो अपलोड करने से पहले कुछ नई शर्तों का ध्यान रखना होगा. दरअसल YouTube ने पहले जो रिपीटेशन कंटेंट यानी बार-बार दोहराए गए कंटेंट की पॉलिसी थी उसका नाम अब बदलकर इन ऑर्थोडिक कंटेंट कर दिया है. कंपनी का कहना है कि यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि साफ-साफ समझाया जा सके कि आखिर कौन सा कंटेंट दोहराया गया या जरूरत से ज्यादा मात्रा में तैयार किया गया है.

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इस पॉलिसी के तहत अब ऐसा कंटेंट जिसे स्पैम की तरह देखा जा सकता है. बार-बार दोहराया जाता है या फिर जिसे बहुत बड़े पैमाने पर बिना किसी बदलाव के अपलोड किया जाता है. वह अब YouTube से पैसा नहीं कमा सकेंगे. YouTube के एडिटोरियल हेड रिची ने बताया है कि ओरिजिनल या ऑर्थोडिक यानी असली और रचनात्मक कंटेंट ही अब YouTube पार्टनर प्रोग्राम के लिए उपयुक्त माना जाएगा. हालांकि YouTube ने यह भी साफ कहा है कि उसकी रीयूज कंटेंट वाली पुरानी पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यानी अगर कोई कमेंट्री क्लिप्स या रिएक्शन वीडियोस बना रहा है और उसमें कुछ क्रिएटिव या टच जैसे ओरिजिनल व्यूज एजुकेशन वैल्यू या खुद का विश्लेषण जोड़ा गया है तो वह अब मोनेटाइज हो सकता है. जहां तक एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात है तो YouTube ने साफ कहा है कि वह एआई के खिलाफ नहीं है बल्कि वह खुद क्रिएटर्स को एआई टूल्स जैसे ऑटो डबिंग और ड्रीम स्क्रीन की सुविधा देता है ताकि वह अपने कंटेंट को और बेहतर बना सके.

लेकिन YouTube ने यह अनिवार्य कर दिया है कि यदि किसी वीडियो में एआई से बनाए गए चेहरे, आवाज या वीडियो का इस्तेमाल किया गया है तो उसे स्पष्ट रूप से बताना होगा. खासकर जब तक वो जानकारी किसी को गुमराह कर सकती हो. जैसे किसी शहर पर मिसाइल गिरते हुए दिखाना, किसी की आवाज को बदलकर झूठी मेडिकल सलाह देना या चेहरा बदलकर किसी और को दिखाना. वहीं अगर कोई ब्यूटी फिल्टर या वॉइस क्लीनिंग टूल्स का इस्तेमाल करता है तो उसे एआई का इस्तेमाल बताने की जरूरत नहीं है. सबसे अहम बात यह है कि YouTube अब उस कंटेंट को इन ऑथोराइज्ड मानता है जो मास प्रोडक्शन यानी एक ही तरह का बार-बार बनाकर अपलोड किया गया वीडियो हो. जैसे कि सिर्फ स्लाइड शो बनाना, एक जैसा नरेशन देना या एक ही स्टाइल के वीडियोस बार-बार डालना. ऐसे वीडियोस अब मोनेटाइज नहीं किए जाएंगे.

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