जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में ताइवान की वैश्विक भूमिका पर केंद्रित एक दिवसीय 'यंग स्कॉलर्स कॉन्फ्रेंस' का सफल आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ के ईस्ट एशियन स्टडीज़ सेंटर द्वारा ताइपेई आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र (TECC), नई दिल्ली के सहयोग से किया गया. इस सम्मेलन का विषय था — "ताइवान बियॉन्ड द क्रॉस-स्ट्रेट: एलाइनमेंट, रिअलाइनमेंट एंड रूब्रिक्स ऑफ कोऑपरेशन".
विशेषज्ञों और पूर्व राजनयिकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया
इस सम्मेलन में नवोदित शोधकर्ताओं, अकादमिक विशेषज्ञों और पूर्व राजनयिकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और ताइवान को लेकर पारंपरिक दृष्टिकोण से परे जाकर नए विमर्शों को आगे बढ़ाया. कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए प्रो. मट्टू, डीन, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़, ने अपने हालिया ताइवान दौरे के अनुभव साझा करते हुए कहा, "ताइवान केवल एक भू-राजनीतिक तनाव का केंद्र नहीं, बल्कि एक जीवंत लोकतंत्र और सभ्यता की शक्ति है. वहाँ के लोगों में शांति और साहस के साथ-साथ लोकतंत्र के प्रति गहरी प्रतिबद्धता है."
भारत और ताइवान संबंध
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित TECC के उप प्रतिनिधि श्री रॉबर्ट शिए बोर-हुई ने कहा, “यह शैक्षणिक संवाद भारत और ताइवान के बीच बढ़ते हुए अकादमिक सहयोग का प्रतीक है. हम इस तरह के विमर्श को बहुत महत्त्वपूर्ण मानते हैं.” मुख्य सत्र को संबोधित करते हुए चीन में भारत के पूर्व राजदूत अशोक कांठा ने कहा कि भारत-ताइवान संबंधों को अब पारंपरिक 'क्रॉस-स्ट्रेट' परिप्रेक्ष्य से आगे बढ़ाकर वाणिज्यिक सहयोग और सुरक्षा साझेदारी के नज़रिये से देखा जाना चाहिए. उन्होंने ताइवान को एक लोकतांत्रिक साझेदार बताते हुए कहा, "ताइवान वर्तमान में अस्तित्व की चुनौती से जूझ रहा है, फिर भी वह क्षमतावर्धन और वैश्विक सहयोग में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है."
क्या है सम्मेलन का उद्देश्य
सम्मेलन के संयोजक और जेएनयू में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अरविंद येलरी ने कहा, “इस प्रकार की पहलें युवा शोधकर्ताओं को द्विध्रुवीय सोच से आगे जाकर नए क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं.” यह सम्मेलन युवाओं के नेतृत्व में ताइवान और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गंभीर, रचनात्मक और स्वतंत्र विमर्श को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास सिद्ध हुआ.