/newsnation/media/media_files/2025/10/10/amir-khan-muttaqi-2025-10-10-23-36-51.jpg)
आमिर खान मुत्ताकी Photograph: (ANI)
नई दिल्ली में शुक्रवार को अफगानिस्तान के तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, लेकिन इसमें एक बात सबसे ज़्यादा चर्चा में रही महिला पत्रकारों को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने दिया गया.
आखिर किसने लिया ये फैसला?
करीब 20 पत्रकारों को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाने की अनुमति मिली थी, और इसमें एक भी महिला रिपोर्टर मौजूद नहीं थी. सूत्रों के मुताबिक, किसे अंदर आने देना है, इसका अंतिम फैसला खुद तालिबान अधिकारियों ने लिय. भारत की ओर से यह सलाह दी गई थी कि मीडिया में भागीदारी सभी के लिए समान हो, जिसमें महिला पत्रकार भी शामिल हों, लेकिन तालिबान ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
अफगानिस्तान में महिलाओं पर पाबंदिया
दिल्ली में किसी दूसरे देश की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं को रोकने का यह पहला मामला माना जा रहा है. यह साफ नहीं है कि तालिबान ने भारतीय अधिकारियों को पहले से बताया था या नहीं कि वे महिला पत्रकारों को अंदर नहीं आने देंगे. ज्ञात हो कि तालिबान शासन में अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर भारी पाबंदियां लगी हैं.
घर से बाहर जान के लिए मर्दों की जरुरत
संयुक्त राष्ट्र (UN) की रिपोर्टों में कहा गया है कि महिलाओं को नौकरी, शिक्षा और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच से वंचित किया जा रहा है, और उन्हें अक्सर घर से बाहर जाने के लिए पुरुष रिश्तेदार की जरूरत होती है. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुत्ताकी उर्दू में सवालों के जवाब देते नज़र आए. वह जिस कमरे में बैठे थे, वहां दीवार पर बामियान के बुद्ध प्रतिमाओं की पेंटिंग थी जिन्हें 2001 में तालिबान ने नष्ट कर दिया था.
महिलाओं के अधिकारों पर क्या कहा?
महिलाओं के अधिकारों पर पूछे गए सवाल के जवाब में मुत्ताकी ने कहा, “तालिबान के आने से पहले हर दिन 200 से 400 लोग मारे जाते थे. अब ऐसा नहीं है. हमारे देश में कानून लागू हैं और सबको अपने अधिकार मिले हैं. हर देश की अपनी परंपराएं और नियम होते हैं. अगर लोग खुश नहीं होते, तो देश में शांति नहीं लौटती.”
भारत पहले से ही था सर्तक
उन्होंने दावा किया कि अब अफगानिस्तान में स्थिरता और एकता है, और लोग सरकार से संतुष्ट हैं. दिल्ली में हुई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई राष्ट्रीय झंडा नहीं लगाया गया, जिससे यह जाहिर हुआ कि भारत इस पूरे कार्यक्रम को लेकर कूटनीतिक रूप से बेहद सतर्क था. मुत्ताकी के सामने केवल एक छोटा तालिबान झंडा रखा गया था, लेकिन पृष्ठभूमि में कोई झंडा नहीं था. यहां तक कि जब उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की, तब भी नहीं.
#WATCH | Delhi | Afghanistan FM Mawlawi Amir Khan Muttaqi says, "... The courage of Afghans should not be tested. If someone wants to do this, they should ask the Soviet Union, America and NATO, so that they can explain that it is not good to play games with Afghanistan..."… pic.twitter.com/Ja1DfSkL9m
— ANI (@ANI) October 10, 2025
ये भी पढ़ें- क्षेत्रीय स्थिरता में अफगानिस्तान का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है : अनिल त्रिगुणायत