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Winter Update: उत्तर भारत में भले ही इन दिनों उमस वाली गर्मी ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. लेकिन जानकारों की मानें तो इस बार हाड़ कंपाने वाली सर्दी पड़ने वाली है. वो भी ज्यादा दिनों तक. दरअसल भारत के अधिकांश हिस्सों में इस साल सर्दियों के दौरान सामान्य से अधिक ठंड पड़ने की आशंका जताई जा रही है. खासकर उत्तर भारत, जिसमें दिल्ली, एनसीआर, गुरुग्राम, नोएडा और फरीदाबाद, पंजाब, हरियाणा जैसे इलाके शामिल हैं. इन इलाकों में कड़ाके की सर्दी और शीत लहर की संभावना बन रही है. आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या कारण है जिसकी वजह से इस बार जल्दी और ज्यादा ठंड पड़ने की संभावना जताई जा रही है.
ला नीना के चलते पड़ेगी ज्यादा सर्दी
इस बार देश खास तौर पर उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है. इसका मुख्य कारण प्रशांत महासागर में ला नीना की स्थिति का बनना बताया जा रहा है, जो अक्टूबर से प्रभावी हो सकती है. ऐसे में भले ही अभी लोगों को उमसभरी गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन जल्द ही सर्दी का एहसास होने लगेगा.
क्या है ला नीना?
ला नीना एक प्राकृतिक जलवायु घटना है, जिसमें भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी हिस्सों में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से काफी नीचे चला जाता है. इससे वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण बदलता है, जिससे वर्षा, तापमान और हवाओं के पैटर्न पर प्रभाव पड़ता है. यह घटना एल नीनो के ठीक विपरीत होती है, जो समुद्र को गर्म करती है.
अमेरिकी मौसम एजेंसी NOAA के अनुसार, अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच ला नीना के विकसित होने की 71 फीदी संभावना है, जबकि यह स्थिति फरवरी 2026 तक बनी रह सकती है.
उत्तर भारत में ठंडी सर्दी की आशंका
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के महानिदेशक एम. मोहपात्रा के अनुसार, आने वाले महीनों में ला नीना की स्थिति और अधिक स्पष्ट होगी. उन्होंने कहा कि सर्दियों का तापमान पूर्वानुमान जल्द ही जारी किया जाएगा.
स्काईमेट वेदर के विशेषज्ञ महेश पलावत का कहना है कि हालांकि हर बार ला नीना के कारण अत्यधिक सर्दी नहीं होती, लेकिन इसके चलते तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना होती है.
चरम सर्दी और कृषि पर असर
ला नीना की स्थिति के कारण इस बार दिल्ली-एनसीआर में न्यूनतम तापमान सामान्य से 2-3 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है. कोल्ड वेव्स (शीत लहरें) अधिक तीव्र हो सकती हैं, जिससे बुजुर्गों, बच्चों और किसानों को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.
किसानों के लिए अलर्ट
जानकारों की मानें तो शीतलहर लंबे समय तक बनी रही तो इसका असर रबी फसलों जैसे गेहूं और सरसों की खेती पर भी पड़ सकता है. हालांकि, ला नीना के कारण मानसून अच्छा रहने की उम्मीद होती है, जिससे जल भंडारण और कृषि को दीर्घकालिक लाभ हो सकता है.
ग्लोबल वार्मिंग का भी प्रभाव
पूर्व पृथ्वी विज्ञान सचिव एम. राजीवन और विश्व मौसम संगठन (WMO) ने यह भी चेतावनी दी है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ला नीना जैसी घटनाओं का प्रभाव पूरी तरह स्पष्ट नहीं होता। कई बार उच्च वैश्विक तापमान इसके प्रभाव को कम कर देते हैं. फिलहाल, उत्तर-पश्चिम भारत में रात के तापमान सामान्य से 3-5 डिग्री अधिक बने हुए हैं, लेकिन 4 अक्टूबर के बाद पश्चिमी विक्षोभों के सक्रिय होने से तापमान में गिरावट, बारिश और बर्फबारी की संभावना है.
अगर मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणियां सटीक रहीं, तो 2025-26 की सर्दी उत्तर भारत के लिए दशकों में सबसे ठंडी हो सकती है. इससे जहां आम जनजीवन पर असर पड़ेगा, वहीं कृषि और ऊर्जा खपत पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिल सकता है.
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