बीते कुछ सालों में आटोमोबाइल इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. डीजल और पेट्रोल की गाड़ियों का विकल्प इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ले रही हैं. यह पर्यावरण के अनुकूल है. इसके साथ फ्यूल का खर्चा भी कम है. नार्वे एक ऐसा देश है, जहां पर कुछ समय में 100 फीसदी तक पेट्रोल और डीजल की कारें बिकना बंद हो जाएंगी. ऐसा कहा जा रहा है कि यूरोपीय देश में शायद आने वाले कुछ वर्षों पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारों का वजूद ही खत्म हो जाएगा. ऐसे में भारत में क्या माहौल है? क्या भारत में भी कुछ समय बाद डीजल और पेट्रोल गाड़ियों को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक व्हीकल से रिप्लेस हो जाएगा? आइए जानने की कोशिश करते हैं.
डीजल और पेट्रोल की गाड़ियां दशकों से भारतीय बाजार में राज करती रही हैं. देश के हर कोने में डीजल और पेट्रोल के पंप उपलब्ध हैं ताकि लंबी दूरी तक सफर करने में किसी तरह की परेशानी न हो. ईवी की तुलना में डीजल और पेट्रोल गाड़ियों की शुरुआती कीमत अभी काफी कम है. हालांकि, प्रदूषण और फ्यूल की कीमतों ने इन वाहनों के भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर दिए.
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का उदय
ईवी ने आटोमोबाइल सेक्टर में एक नई क्रांति ला दी है. इन गाड़ियों में बैटरी से चलने वाली मोटर होती है. इससे पर्यावरण को लाभ होता है. यह लंबे समय के लिए किफायती भी हैं. इससे कई फायदे होते हैं. इसकी लो मेंटेनेंस कॉस्ट होती है. इसकी वजह है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इंजन आयल या अन्य जटिल पार्ट्स नहीं होते हैं. इसके साथ दी जा रही सब्सिडी लोगों को आकर्षित कर रही है. लेकिन ईवी की कुछ चुनौतियां भी हैं. इसके चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और चार्जिंग के लिए लंबे इंतजार की आवश्यकता होती है.
100 फीसदी पेट्रोल और डीजल कारें बंद हो सकती हैं: गडकरी
एक साक्षात्कार में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारत में पेट्रोल और डीजल कारों के पूरी तरह से बंद होने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि भविष्य में देश में 100 फीसदी पेट्रोल और डीजल कारें बंद हो सकती हैं. यह असंभव नहीं है. उन्होंने कहा कि हम आगे अल्टरनेटिव और बॉयो फ्यूल व्हीकल के भविष्य की कल्पना करते हैं.
देश में ईवी का उज्ज्वल भविष्य
भारत में ईवी का भविष्य उज्ज्वल है. सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक नई गाड़ियों की बिक्री में 30 प्रतिशत का हिस्सा ईवी का रहे. टाटा, महिंद्रा और ओला जैसे भारतीय ब्रांड्स भी इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं. ईवी को बढ़ावा देने को लेकर सरकार कई अहम कदम उठा रही है. सरकार ईवी को अपनाने के लिए टैक्स में छूट और सब्सिडी दे रही है. पुराने डीजल और पेट्रोल गाड़ियों पर बैन लगाने के लिए नए प्रदूषण के नियम बनाया गया है. यहां पर BS-6 को लागू कर दिया है.
ईवी का विकास बहुत तेजी से हो रहा है. लेकिन ईवी पूरी तरह से डीजल और पेट्रोल गाड़ियों को रिप्लेस कर पाएंगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है. इसमें समय लग सकता है. ईवी की गाड़ियों की कीमतों को सस्ता करना पड़ेगा. इस प्रक्रिया में हाइब्रिड टेक्नोलॉजी मदद कर सकती है. इसमें वाहन को ईवी मोड के साथ फ्यूल मोड पर दोनों पर चलाया जा सकता है.