क्या भारत के लिए अमेरिका से भिड़ेंगे रूस और चीन? जी हां, इस सवाल का जवाब अब हर कोई जानना चाहता है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में बड़ी घोषणा की है, जिसमें भारत सहित कई देशों पर 25% टैरिफ लगाने और रूस के खिलाफ कड़े रुख की धमकी दी गई है. अमेरिका की लगातार बदलती राजनीति के कारण भारत को भी आने वाले समय में अपनी नीतियों में बदलाव की जरूरत दिख रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की नीति से भारत का अमेरिका से मोहबंद हो सकता है, जिसके परिणाम स्वरूप भारत रूस और चीन के साथ मिलकर एक नया वैश्विक गठजोड़ बना सकता है.
भारत के लिए कितना फायदेमंद होगा चीन-रूस का साथ
सवाल यह है कि क्या यह गठजोड़ भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा और क्या यह वैश्विक व्यवस्था को बदल सकता है? यदि भारत रूस और चीन के साथ गठजोड़ बनाता है तो इसके कई फायदे हो सकते हैं. पहला, यह कि भारत को वैश्विक व्यापार में एक नई ताकत के रूप में स्थापित कर सकता है. यह रूस और चीन के साथ मिलकर भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति को और मजबूत कर सकता है. दूसरा, यह गठजोड़ भारत को अमेरिका के आर्थिक दबाव से बचने में मदद कर सकता है. तीसरा, रूस और चीन के साथ सहयोग भारत को ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सकता है. हालांकि इस गठजोड़ के जोखिम भी कम नहीं है. अमेरिका के साथ रिश्तों में तनाव भारत के लिए आर्थिक और कूटनीतिक नुकसान पहुंच सकता है.
क्या अमेरिका की नाराजगी मोल ले सकता है भारत
भारत का अमेरिका के साथ व्यापार घाटा पहले से ही एक चिंता का विषय है और टैरिफ के जवाब में भारत को भी जवाबी कदम उठाने पड़ सकते हैं जो दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है. इसके अलावा चीन के साथ गठजोड़ भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए चुनौतियां पैदा कर सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस स्थिति में एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिसमें वह रूस और चीन के साथ सहयोग बढ़ाए लेकिन अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को पूरी तरह से नजरअंदाज ना करें. ट्रंप की तारीफ नीति और भारत, रूस और चीन के साथ संभावित गठजोड़ का वैश्विक शक्ति संतुलन पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है.