India Pakistan Ciesefire: भारत-पाकिस्तान सीजफायर क्यों अहम थी DGMO की भूमिका, मिलता है इतना वेतन

India Pakistan Ciesefire: भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बीच सीजफायर यानी युद्धविराम हो गया है. इस सीज फायर में दोनों देशों के Director General of Military Operations यानी DGMO की भूमिका अहम रही है.

India Pakistan Ciesefire: भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बीच सीजफायर यानी युद्धविराम हो गया है. इस सीज फायर में दोनों देशों के Director General of Military Operations यानी DGMO की भूमिका अहम रही है.

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Dheeraj Sharma
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India DGMO Rajeev Ghai

India Pakistan Ciesefire: भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बीच सीजफायर यानी युद्धविराम हो गया है. इस सीज फायर में दोनों देशों के Director General of Military Operations यानी DGMO की भूमिका अहम रही है. दरअसल इन दोनों के बीच हुई बातचीत के बाद सीजफायर की घोषणा की गई है। यह घोषणा दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर शांति बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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कौन होते हैं DGMO 

DGMO भारतीय सेना का एक शीर्ष सैन्य पद होता है, जिसे एक तीन सितारा लेफ्टिनेंट जनरल संभालता है। वर्तमान में यह जिम्मेदारी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई के पास है, जिन्होंने अक्टूबर 2024 में इस पद को ग्रहण किया था। इससे पहले वे कश्मीर स्थित चिनार कॉर्प्स के GOC रहे हैं, जहां उन्होंने आतंकवाद विरोधी अभियानों में अनुभव प्राप्त किया।

क्या है डीजीएमओ का प्रमुख काम

DGMO का प्रमुख कार्य सैन्य अभियानों की योजना बनाना और उन्हें लागू कराना होता है। युद्धकाल में रणनीति निर्माण से लेकर जमीनी कार्रवाई तक हर स्तर पर DGMO की भूमिका अहम होती है। सेना प्रमुख (Army Chief) को रिपोर्ट करना, खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय रखना और युद्ध की दिशा तय करना इनके दायित्वों में शामिल है।

कितनी मिलती है सैलरी

भारत के डीजीएमओ के वेतन की बात की जाए तो इसे तय करने का काम रक्षा मंत्रालय और सेना प्रमुख की अहम भूमिका होती है. 7वें वेतन आयोग के मुताबिक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई का बेसिक वेतन 1 लाख 82 हजार 200 से  2 लाख 24 हजार 100 रुपए मासिक हो सकता है. 

सीजफायर: संघर्ष पर अस्थायी विराम

सीजफायर का अर्थ होता है युद्ध या संघर्ष को अस्थायी या स्थायी रूप से रोक देना। यह एक औपचारिक संधि नहीं होती, बल्कि दोनों देशों की आपसी सहमति से लागू किया जाता है। नियंत्रण रेखा पर अक्सर गोलाबारी की घटनाएं होती रही हैं, जिससे न केवल सैनिकों बल्कि सीमा से सटे गांवों के नागरिकों को भी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में सीजफायर की घोषणा मानवीय दृष्टिकोण से भी जरूरी मानी जाती है।

बता दें कि भारत की ओर से यह स्पष्ट संदेश है कि वह शांति के पक्ष में है, लेकिन सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। DGMO जैसे अधिकारी इस संतुलन को बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। उनकी निगरानी में ही युद्धविराम को प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है।

सीजफायर और DGMO की भूमिका भारतीय सेना और विदेश नीति के अहम पहलुओं को दर्शाते हैं। यह न केवल सैन्य रणनीति का हिस्सा है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और शांति की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास भी है। आने वाले समय में इस पहल को कितनी मजबूती मिलती है, यह दोनों देशों की राजनीतिक इच्छाशक्ति और सैन्य नेतृत्व की सूझबूझ पर निर्भर करेगा।

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