आखिर पिटबुल डॉग क्यों होते हैं खतरनाक, क्या भारत में इसे पालना है गैरकानूनी?

दिल्ली के प्रेम नगर इलाके में हुई एक दुखद घटना ने पिटबुल नस्ल के कुत्ते को लेकर बहस फिर से छेड़ दी है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या हमारे देश में इतनी खतरनाक नस्ल के कुत्ते को पाला जा सकता है, अगर पाला जा सकता है तो क्या इसके लिए कोई नियम-कानून नहीं हैं?

दिल्ली के प्रेम नगर इलाके में हुई एक दुखद घटना ने पिटबुल नस्ल के कुत्ते को लेकर बहस फिर से छेड़ दी है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या हमारे देश में इतनी खतरनाक नस्ल के कुत्ते को पाला जा सकता है, अगर पाला जा सकता है तो क्या इसके लिए कोई नियम-कानून नहीं हैं?

author-image
Ravi Prashant
New Update
pitbull dogs rules

पिटबुल पालने के नियम Photograph: (META AI)

दिल्ली के प्रेमनगर इलाके से निकली एक दर्दनाक घटना ने फिर से पिटबुल डॉग ब्रीड को लेकर बहस तेज कर दी है. यहां 6 साल का मासूम बच्चा अपने घर के बाहर खेल रहा था, तभी अचानक एक पिटबुल ने उसे दबोच लिया. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कुत्ता बच्चे को बुरी तरह काटता और घसीटता रहा.

Advertisment

बच्चे के चीखने और लोगों के दौड़ने के बाद उसे किसी तरह छुड़ाया गया. गंभीर हालत में बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इस हमले ने पालतू कुत्तों, खासकर पिटबुल जैसी आक्रामक माने जाने वाली नस्लों पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं.

क्या पिटबुल रखना है सुरक्षित? 

यह पहली घटना नहीं है. पिछले कुछ समय में देश के अलग-अलग राज्यों से कई ऐसे मामले सामने आए, जहां पिटबुल ने किसी को गंभीर रूप से घायल कर दिया या मौत तक हो गई. ऐसे मामलों के बाद एक अहम सवाल उठता है क्या भारत में पिटबुल पालना सुरक्षित है? और इसके नियम क्या कहते हैं?

हर राज्य में अलग-अलग नियम

भारत में पालतू कुत्तों के नियम हर राज्य में अलग-अलग हैं. कई राज्यों ने पिटबुल, रॉटवाइलर और डोबर्मन जैसी ब्रीड को लेकर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए हैं. दिल्ली-एनसीआर में पिटबुल रखने के लिए पेट डॉग रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. अगर कोई व्यक्ति बिना रजिस्ट्रेशन के पिटबुल पालता है, तो 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

मालिक ही होंगे जिम्मेदार

साथ ही, अगर आपके पालतू कुत्ते के अटैक से किसी व्यक्ति को चोट लगती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी कुत्ते के मालिक की मानी जाती है. स्थिति और गंभीर हो जाती है यदि कुत्ते के हमले से किसी की जान चली जाए. ऐसे मामलों में मालिक के खिलाफ आईपीसी की धारा 304A के तहत कार्रवाई होती है, जो लापरवाही से मृत्यु का अपराध माना जाता है. इसमें कठोर कारावास तक की सजा संभव है.

देश में तेजी से बढ़ रहे डॉग बाइट के मामले

डॉग बाइट और पेट अटैक से जुड़े मामलों की संख्या हर साल बढ़ रही है. यह सिर्फ आवारा कुत्तों की वजह से नहीं, बल्कि पालतू कुत्तों की लापरवाही से भी बढ़ रहा है. एनसीआरबी डेटा और सरकारी आंकड़ों से यह बात साफ होती है. 2019 में देश में कुत्तों के हमले के 72,77,523 मामले सामने आए. 2020 में यह संख्या 46,00,493 तक रही. वहीं 2021 में भी 17,01,133 से अधिक मामलों की रिपोर्ट दर्ज की गई.

ये आंकड़े चौंकाने वाले इसलिए भी हैं क्योंकि इनमें शहरों के पालतू कुत्तों द्वारा किए गए हमले भी शामिल हैं. विशेषज्ञ इस बढ़ोतरी के पीछे बिना ट्रेनिंग के आक्रामक ब्रीड को पालना, गलत हैंडलिंग, और पालतू जानवरों के नियंत्रण में लापरवाही को प्रमुख कारण मानते हैं.

आखिर पिटबुल इतना खतरनाक क्यों माना जाता है?

पिटबुल असल में एक लड़ाकू नस्ल मानी जाती है, जिसका इतिहास डॉग फाइटिंग से जुड़ा रहा है. इसकी जॉ स्ट्रेंथ (काटने की ताकत) सामान्य कुत्तों से कई गुना ज्यादा होती है. यह नस्ल बहुत जिद्दी, ऊर्जावान और क्षेत्रीय व्यवहार रखने वाली होती है. इस कारण अगर इसे सही ट्रेनिंग, समाजिक व्यवहार और नियंत्रण में नहीं रखा जाए, तो यह खतरा पैदा कर सकती है. एक्सपर्ट बताते हैं कि पिटबुल या किसी भी आक्रामक ब्रीड को पालना सिर्फ शौक नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का मामला है. इसके लिए मालिक को उसके व्यवहार, खान-पान, ट्रेनिंग और सुरक्षा नियमों पर गंभीरता से ध्यान देना पड़ता है.

जरूरत सिर्फ पाबंदी की नहीं

पिटबुल को लेकर भारत में एक और भ्रम है. लोग इसे स्टेटस सिंबल की तरह पालते हैं. बिना ट्रेनिंग या ज्ञान के सिर्फ फैशन में कुत्ता पालना समाज के लिए खतरा बन रहा है. कई देशों में पिटबुल बैन या कड़े नियमों के तहत ही रखा जाता है, लेकिन भारत में जागरूकता की कमी दिखाई देती है.

Advertisment