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Trump and Putin in Alaska Photograph: (AI)
यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच आज यानी 15 अगस्त को अलास्का में बेहद अहम मीटिंग होने वाली है. यूं तो इस बैठक में दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच यूक्रेन वॉर और उसको रोकने को लेकर बातचीत होगी. लेकिन इस मीटिंग से करीब-करीब पूरी दुनिया के हित जुड़े हैं. क्योंकि इस मीटिंग से निकलकर आने वाले कोई फैसला भारत समेत पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा. यही वजह है कि पूरी दुनिया की नजरें इस बैठक पर टिकी हुई हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले चार सालों में किसी अमेरिकी और रूसी राष्ट्रपति के बीच होने वाली यह पहली शिखर बैठक है. इसके अलावा फरवरी 2022 में यूक्रेन वॉर के बाद पुतिन की किसी पश्चिम देश की यह पहली यात्रा है. ऐसे में बात करते हैं कि हर देश इस बैठक को अपने फायदे-नुकसान के हिसाब से कैसे देख रहा है.
क्या चाहता है रूस?
यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिसके चलते पुतिन वेस्टर्न वर्ल्ड से बिल्कुल अलग-थलग पड़ गए हैं. ऐसा नहीं है यूक्रेन वॉर को रुकवाने को लेकर इससे पहले रूस से बातचीत के प्रयास नहीं किए गए,लेकिन मॉस्को के सख्त शर्तों के कारण बात नहीं बन सकी. ऐसे में जब डोनाल्ड ट्रंप इस युद्ध को किसी भी सूरत में रुकवाना चाहते हैं तो रूस के पास अपनी शर्तों को आगे पढ़ाने का मौका है. दरअसल, रूस ने यूक्रेन के पूर्वी इलाकों (खेरसान, लुंगास्क और डोनेत्स्क) पर कब्जा कर लिया है. अब रूस चाहता है कि यूक्रेन इन इलाकों से अपनी सेना को हटा ले. हालांकि यूक्रेन रूस के इस दावे को खारिज करता आया है. इसके अलावा रूस चाहता है कि पूरी दुनिया उस पर लगे सभी प्रकार के प्रतिबंध हटाए. साथ ही यूक्रेन नाटो में न शामिल होने की घोषणा करे.
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क्या चाहता है यूक्रेन?
यूक्रेन को भरोसा है कि डोनाल्ड ट्रंप युद्ध रुकवाने की शर्तों में कोई ऐसी शर्त शामिल नहीं करेंगे, जिससे कीव को किसी भी तरह का कोई नुकसान हो. दरअसल, यूक्रेन चाहता है कि युद्धविराम जमीन, समुद्र और आकाश किसी भी तरह की बिना शर्त हो. यूक्रेन की मांग है कि दोनों पक्ष बिना किसी शर्त को युद्धबंदियों को लौटाएं. वहीं यूक्रेन का आरोप है कि युद्ध के दौरान रूस ने हजारों यूक्रेनी बच्चों को अपने कब्जे वाले इलाकों में रखा है और उनको रूसी नागरिकता दे दी है. इसलिए इन बच्चों को वापस यूक्रेन को लौटाना चाहिए. हालांकि रूस ऐसे किसी भी आरोप को गलत ठहराता है. साथ ही यूक्रेन यह भी चाहता है कि युद्ध को रुकवाने वाले किसी भी समझौते में रूस के तरह से होने वाले भविष्य में किसी भी हमले से सुरक्षा की गारंटी उसको दी जानी चाहिए. इसके साथ ही रूस से प्रतिबंध एक साथ न हटाकर धीरे-धीरे हटाए जाने चाहिए.
क्या चाहता है अमेरिका?
रूस-यूक्रेन वॉर को रोकना डोनाल्ड ट्रंप के प्रमुख एजेंडों में से एक है, जो एक तरह से उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा है. दरअसल, जनवरी 2025 में सत्ता में आने से पहले ट्रंप ने कहा था कि राष्ट्रपति बनने के 24 घंटों के भीतर वह रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करा देंगे. लेकिन 7-8 महीने बीत जाने के बाद भी ट्रंप ऐसा करने में असफल रहे. ऐसे में अलास्का में होने वाली बैठक ट्रंप के लिए एक अवसस के समान है. अगर ट्रंप रूस को समझौते के मेज पर लाने में कामयाब होते हैं तो यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. इस बैठक से पहले रूस ने बुधवार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर रूस ने यूक्रेन वॉर नहीं रोका तो उसको गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. हालांकि इस बैठक में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को शामिल नहीं किया जा रहा है. इस पर ट्रंप ने कहा है कि अगर यह वार्ता सफल होती है तो अगली बैठक में जेलेंस्की को शामिल किया जाएगा.
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क्या चाहता है भारत?
अमेरिका की तरह से भारत पर अब तक किसी भी देश से ज्यादा ट्रैरिफ लगाया गया है, जो 50 प्रतिशत है. इसमें 25 प्रतिशत टैरिफ और 25 प्रतिशत जुर्माना शामिल है. जुर्माने की यह रकम भारत को 21 अगस्त से चुकानी होगी. दरअसल, ट्रंप का मानना है कि भारत रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदता है. भारत द्वारा खरीदे गए तेल के पैसे का इस्तेमाल रूस यूक्रेन वॉर में करता है. ऐसे में अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करे ताकि उसकी अर्थव्यवस्था को झटका लगे और पुतिन पर यूक्रेन वॉर रोकने का दबाव बनाया जा सके. इसके साथ अमेरिका यह भी चाहता है कि भारी टैरिफ के दबाव में आकर भारत खुद रूस को युक्रेन वॉर पर समझौते के लिए तैयार करे. वहीं, मीटिंग से पहले अमेरिका ने एक बार भी भारत को टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है. ऐसे में अगर ट्रंप और पुतिन के बीच होने वाली बैठक सफल होती है तो भविष्य में भारत को भारी-भरकम टैरिफ से छुटकारा मिल सकता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है.