क्यों 4 प्रतिशत आरक्षण देने की तैयारी में कांग्रेस सरकार? बजट सत्र में पेश हो सकता है​ बिल

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार सरकारी ठेकों में मुसलमानों को 4 फीसदी आरक्षण देने की तैयारी कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि बजट सत्र में सरकार विधानसभा में विधेयक पेश करने वाली है. 

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार सरकारी ठेकों में मुसलमानों को 4 फीसदी आरक्षण देने की तैयारी कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि बजट सत्र में सरकार विधानसभा में विधेयक पेश करने वाली है. 

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Mohit Saxena
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karnataka cm news Photograph: (social media)

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार टेंडरों में मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की योजना बना रही है. इस पर भाजपा ने राज्य सरकार की आलोचना की है. भाजपा का कहना है कि यह कदम संविधान की भावना के विपरीत है. यह तु​ष्टीकरण की राजनीति के अलावा कुछ भी नहीं है. सीएम सिद्दरमैया की अगुवाई वाली सरकार कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम, 1999 में संशोधन लाने का प्रयास कर रही है.

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इस पहले भी हुए कई संशोधन 

गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस सरकार ने KTPP अधिनियम में संशोधन किया. इसमें 24.01 प्रतिशत आरक्षण को लागू किया था. यह आरक्षण 50 लाख रुपये तक के ठेकों पर लागू किया. इसके बाद मार्च  2023 में इसकी सीमा को बढ़ाकार 1 करोड़ रुपये तक किया गया था.

बजट सत्र में विधेयक पेश करने की तैयारी

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो वित्त विभाग ने इसके लिए एक खाका भी बनाया है. इस मामले में कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने भी संशोधन को लेकर सहमति जताई है. कैबिनेट की बैठक में इस केस को उठाया गया है. अगर सहमति बन जाती है तो सरकार बजट सत्र में विधेयक पेश करने की योजना बनाने की कोशिश में है.  

भाजपा ने फैसला वापस लेने की मांग की 

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. उसका कहना है कि हम कांग्रेस सरकार की धर्म के आधार पर समाज और राज्य को वि​भाजित करने की निंदा करते हैं. इसका विरोध भी करते हैं.  हम सरकार से अपील करते हैं कि वह तुष्टीकरण को लेकर सरकारी ठेकों में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने के अपने निर्णय को फैसला वापस लेना होगा. 

अल्पसंख्यक मानती कांग्रेस सरकार

विजयेंद्र का कहना है कि कांग्रेस सरकार केवल मुसलमानों को ही अल्पसंख्यक मानती है. अल्पसंख्यक समुदायों  को अनदेखा किया जा रहा है. केवल मुसलमानों को ही धर्म के आधार पर शिक्षा और रोजगार में आरक्षण दिया गया है. यह संविधान की भावना के विरुद्ध है.

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