90 साल बाद जातीय जनगणना पर बड़ा फैसला, आखिर क्यों जरुरी है कास्ट सेंसस?

केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल को घोषणा की कि जनगणना के साथ-साथ जातिगत जनगणना भी कराई जाएगी. इस घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई है कि जातिगत जनगणना कराने से क्या होगा? क्या वाकई में इससे कुछ लाभ होगा? ऐसे कई सवाल सोशल मीडिया में तैर रहे हैं.

केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल को घोषणा की कि जनगणना के साथ-साथ जातिगत जनगणना भी कराई जाएगी. इस घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई है कि जातिगत जनगणना कराने से क्या होगा? क्या वाकई में इससे कुछ लाभ होगा? ऐसे कई सवाल सोशल मीडिया में तैर रहे हैं.

author-image
Ravi Prashant
New Update
caste census

क्यों जरुरी है जातीय जनगणना? Photograph: (Freepik)

भारत में जाति एक ऐसा सामाजिक सच है, जो सदियों से हमारे जीवन का हिस्सा रहा है. स्कूल, कॉलेज, नौकरी या सामाजिक संबंध हर जगह कहीं न कहीं जाति हमारी पहचान और अवसरों को प्रभावित करती है. ऐसे में जातीय जनगणना का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है. 

Advertisment

साल 1931 में हुई थी जातीय जनगणना

मोदी सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को ऐलान किया कि अगली जनगणना में जातीय आंकड़े भी इकट्ठा किए जाएंगे. यह प्रोसेस डिजिटल माध्यम से मोबाइल ऐप और ऑनलाइन पोर्टल के ज़रिए की जाएगी. यह फैसला ऐतिहासिक इसलिए भी है क्योंकि भारत में आखिरी बार पूरी जातीय जनगणना 1931 में हुई थी. उसके बाद से केवल अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की गिनती होती रही है. अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अन्य जातियों का कोई संपूर्ण डेटा आज तक मौजूद नहीं है.

जातीय जनगणना क्यों ज़रूरी है?

सरकार का कहना है कि इस कदम से समाज की वास्तविक तस्वीर सामने आएगी. इससे पता चलेगा कि किस जाति की सामाजिक और आर्थिक स्थिति क्या है. इसके ज़रिए सरकारी योजनाएं ज़्यादा प्रभावी तरीके से बनाई जा सकेंगी.

  • समानता की दिशा में: अब भी कई जातियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और नौकरी में भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
  • नीतियों की समीक्षा: आरक्षण की उपयोगिता और आवश्यकता को समझने में मदद मिलेगी.
  • संसाधनों का सही वितरण: सरकार को यह पता चलेगा कि किन क्षेत्रों और जातियों को ज़्यादा सहायता की ज़रूरत है.
  • संवैधानिक जिम्मेदारी: अनुच्छेद 340 सरकार को पिछड़े वर्गों की स्थिति जानने का अधिकार देता है.

हालांकि कुछ विशेषज्ञ इसे राजनीतिक कदम मानते हैं, लेकिन पारदर्शिता और निष्पक्षता से किया जाए तो यह फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में मील का पत्थर बन सकता है. वहीं, कांग्रेस अन्य विपक्षी पार्टी जातीय जनगणना पर अपनी क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहे हैं. 

ये भी पढ़ें- कितनी थी हिंदू-मुस्लिम सहित अन्य धर्मों की आबादी, पिछली बार सबसे पहले किसकी हुई थी गिनती

Bihar caste census Caste Census Caste census News all party agree on caste census
      
Advertisment