कार में राइट साइड ही क्यों बैठे पुतिन, जानें इसके पीछे की वजह

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरे, तो दुनिया की निगाहें उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गर्मजोशी भरे आलिंगन पर थीं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरे, तो दुनिया की निगाहें उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गर्मजोशी भरे आलिंगन पर थीं.

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Dheeraj Sharma
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Why Putin seat on right side in car

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरे, तो दुनिया की निगाहें उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गर्मजोशी भरे आलिंगन पर थीं. लेकिन असली कूटनीति उस क्षण में दिखाई दी, जब दोनों नेता रेड कार्पेट पार कर टोयोटा फॉर्च्यूनर तक पहुंचे. यहां कुछ ऐसा हुआ, जो कुछ सेकंड में ही वैश्विक राजनीति और मेजबानी की भारतीय परंपरा दोनों को उजागर कर गया.

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जैसे ही पुतिन स्वाभाविक रूप से गाड़ी की बाईं ओर बैठने के लिए बढ़े, पीएम मोदी ने हाथ के इशारे से उन्हें रोकते हुए दाहिनी ओर बैठने का आग्रह किया. पुतिन हल्का मुस्कुराए और मोदी के संकेत को सम्मान देते हुए पीछे से घूमकर दाईं सीट पर बैठ गए. यह बदलाव मामूली लग सकता है, लेकिन इसके पीछे तीन बड़े कूटनीतिक संदेश छिपे हैं.

1. प्लेस ऑफ ऑनर- अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल का गोल्डन रूल

कूटनीति की दुनिया में एक मूल सिद्धांत है- Guest is always on the Right यानी मेहमान हमेशा दाहिनी ओर होता है. फोटो-ऑप हो, पोडियम की व्यवस्था हो या किसी भी वाहन में बैठने का क्रम. दाईं ओर की सीट को 'प्लेस ऑफ ऑनर' माना जाता है.  पीएम मोदी ने पुतिन को दाहिनी सीट देकर साफ संदेश दिया कि भारत प्रोटोकॉल का सम्मान करता है और अपने अतिथि को सर्वोच्च स्थान देता है. गाड़ी की दाईं ओर बैठा व्यक्ति ही जनता और मीडिया की पहली नजर में आता है, इसीलिए यह सीट सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है.

2. प्रधानमंत्री आवास की दिशा और वीवीआईपी मूवमेंट का गणित

यह निर्णय केवल सम्मान का मुद्दा नहीं था, बल्कि पूरी योजना और सुविधा से भी जुड़ा था. पालम एयरपोर्ट से काफिला सीधे 7, लोक कल्याण मार्ग की ओर बढ़ा, जहां गाड़ियों का प्रवेश एक तय दिशा में होता है. आमतौर पर वाहन इस तरह रुकते हैं कि दाहिना दरवाज़ा सीधे रेड कार्पेट या स्वागत पंक्ति के सामने खुले. अगर पुतिन बाईं ओर बैठते, तो उन्हें उतरने में असुविधा होती या तो गाड़ी के भीतर खिसकना पड़ता या गाड़ी का चक्कर लगाना पड़ता. मोदी ने उसे पहले ही भांप लिया और सुनिश्चित किया कि पुतिन उतरते समय सीधे रेड कार्पेट पर कदम रख सकें. यह सूक्ष्म लेकिन बेहद महत्वपूर्ण मेहमाननवाज़ी का हिस्सा है.

3. 'पावर सीट' का भारतीय संदर्भ

भारत में गाड़ियां राइट-हैंड ड्राइव होती हैं और इसके चलते पीछे की दाहिनी सीट को पारंपरिक रूप से सबसे प्रतिष्ठित स्थान माना जाता है इसका दृश्य साफ होता है और इसे 'मालिक की सीट' कहा जाता है. पुतिन को इसी सीट पर बैठने का आग्रह करके प्रधानमंत्री मोदी ने एक सांकेतिक संदेश दिया कि आप हमारे सम्मानित अतिथि और आज की बातचीत के प्रमुख हैं हम साथ-साथ आगे बढ़ रहे हैं.

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