चिनाब ब्रिज के बनने से चीन और पाकिस्तान क्यों है बेचैन? जानिए सामरिक रूप से कैसे मिली भारत को बढ़त

पाकिस्तान, जो मुज़फ्फराबाद और मीरपुर के जरिए कश्मीर तक आसान पहुंच रखता है, इसे भारत की सामरिक तैयारी के रूप में देख रहा है. 1947-48 के युद्ध के बाद बनी LoC के कारण भारत को आंतरिक दुर्गम रास्तों से कश्मीर तक पहुंच बनानी पड़ी, जिसमें USBRL जैसी परियोजनाएं अहम हैं.

पाकिस्तान, जो मुज़फ्फराबाद और मीरपुर के जरिए कश्मीर तक आसान पहुंच रखता है, इसे भारत की सामरिक तैयारी के रूप में देख रहा है. 1947-48 के युद्ध के बाद बनी LoC के कारण भारत को आंतरिक दुर्गम रास्तों से कश्मीर तक पहुंच बनानी पड़ी, जिसमें USBRL जैसी परियोजनाएं अहम हैं.

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Madhurendra Kumar
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Chenab Bridge

Chenab Bridge Photograph: (Social Media)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च ब्रिज चिनाब ब्रिज का उद्घाटन पिछले दिनों किया. यह पुल न सिर्फ इंजीनियरिंग की मिसाल है, बल्कि भारत की सामरिक तैयारियों को भी नई ऊंचाई देता है. 359 मीटर ऊंचा यह ब्रिज पेरिस के एफिल टावर से भी 35 मीटर ऊंचा है और 1,315 मीटर लंबा है. यह पुल 8 तीव्रता तक के भूकंप और 266 किमी/घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को सहने में सक्षम है.

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यह ब्रिज ₹43,780 करोड़ की उद्यमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का हिस्सा है, जिसमें 272 किमी लंबे मार्ग में 36 सुरंगें और 943 ब्रिज शामिल हैं. चिनाब ब्रिज अब कश्मीर घाटी को हर मौसम में रेल संपर्क उपलब्ध कराता है, जिससे जम्मू और श्रीनगर के बीच यात्रा का समय 2-3 घंटे तक कम हो गया है. इसका प्रभाव पर्यटन, व्यापार और क्षेत्रीय विकास पर भी पड़ेगा.

सामरिक महत्त्व

पुल की भौगोलिक स्थिति और संरचना भारत को पाकिस्तान और चीन के मुकाबले सामरिक बढ़त प्रदान करती है. यह पुल नियंत्रण रेखा (LoC) और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) तक सैनिकों, भारी तोपों और रसद की तेज़ आवाजाही को संभव बनाता है. इसकी ब्लास्ट-रेसिस्टेंट स्टील संरचना, 24/7 निगरानी प्रणाली और आपातकालीन स्थिति में सेना की त्वरित तैनाती जैसी विशेषताएं इसे एक रणनीतिक संसाधन बनाती हैं.

पाकिस्तान, जो मुज़फ्फराबाद और मीरपुर के जरिए कश्मीर तक आसान पहुंच रखता है, इसे भारत की सामरिक तैयारी के रूप में देख रहा है. 1947-48 के युद्ध के बाद बनी LoC के कारण भारत को आंतरिक दुर्गम रास्तों से कश्मीर तक पहुंच बनानी पड़ी, जिसमें USBRL जैसी परियोजनाएं अहम हैं. चीन भी अपने 14वें पंचवर्षीय योजना के तहत LAC के पास सैन्य और परिवहन संरचना का तेज़ी से विस्तार कर रहा है. वह तिब्बत में $30 अरब के निवेश से हाइवे, एक्सप्रेसवे, और रेलवे नेटवर्क को मजबूत कर रहा है.

पाकिस्तान और चीन की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान ने USBRL और चिनाब ब्रिज को संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का उल्लंघन और सुरक्षा खतरा बताया है. इस परियोजना के चलते पाकिस्तान ने अपनी रक्षा रणनीति को पुनः परिभाषित किया है और आर्थिक तंगी के कारण कई विकास परियोजनाएं रद्द कर दी हैं. पाकिस्तान का दावा है कि भारत इस पुल के ज़रिए कश्मीर में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है और नियंत्रण रेखा के पास सामरिक तैनाती को सशक्त बना रहा है. चीन ने सार्वजनिक तौर पर कोई तीखी टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह LAC के पास अपनी सैन्य गतिविधियों और बुनियादी ढांचे के विकास को तेजी से आगे बढ़ा रहा है ताकि रणनीतिक संतुलन बनाए रखा जा सके.

राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रतीक

चिनाब ब्रिज न केवल एक अभूतपूर्व इंजीनियरिंग कारनामा है, बल्कि यह भारत की कश्मीर के साथ एकीकरण की नीति और सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य रणनीति का प्रतीक भी है. यह पुल भारत की सीमा सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियानों और आपातकालीन प्रतिक्रियाओं को सशक्त बनाता है.

यह ब्रिज अब भारत की रक्षा रणनीति का केंद्रबिंदु बन गया है, जो पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए चुनौती पेश करता है. साथ ही, यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूती देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है.

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