हाल के महीनों में दुनियाभर से एक के बाद एक प्लेन हादसों की खबरें सामने आ रही हैं, जिसने हवाई यात्रा की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. जहां पहले हवाई सफर को सबसे सुरक्षित माना जाता था, वहीं अब यात्रियों के मन में डर बैठता जा रहा है. 2025 की शुरुआत से अब तक कई बड़े विमान हादसे हो चुके हैं जिनमें सैकड़ों लोगों की जान गई है.
हादसे बढ़ने की वजह क्या है?
- विशेषज्ञों की मानें तो प्लेन क्रैश के बढ़ते मामलों के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं.
- पुराने विमानों का इस्तेमाल: कई एयरलाइंस अभी भी 20-25 साल पुराने जहाज़ उड़ा रही हैं, जिनकी तकनीक outdated हो चुकी है.
- पायलट की थकावट: बढ़ती उड़ानों के चलते पायलटों को लगातार ड्यूटी पर रखा जा रहा है, जिससे उनकी एकाग्रता पर असर पड़ता है.
- तकनीकी रखरखाव में लापरवाही: कई एयरलाइंस में नियमित मेंटेनेंस की प्रक्रिया में कोताही बरती जा रही है.
- अप्रशिक्षित स्टाफ: पायलट और तकनीकी स्टाफ की ट्रेनिंग में कमी भी दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण बन रही है.
- मौसम की चरम स्थितियां: ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण बदलते मौसम की तीव्रता से विमान संचालन कठिन हो गया है.
कुछ सालों में अब तक कहां-कहां हुए हादसे?
- ईरान: तेहरान से रवाना हुआ एक घरेलू विमान मौसम खराब होने के कारण पहाड़ों से टकरा गया. इसमें 68 लोगों की मौत हो गई.
- अफ्रीका (कांगो): टेक-ऑफ के दौरान रनवे से फिसलकर एक विमान जंगल में जा गिरा. हादसे में 42 यात्री मारे गए.
- रूस: एक सैन्य परिवहन विमान क्रैश हो गया जिसमें 100 से अधिक सैनिक सवार थे.
- जापान: एक इंटरनेशनल फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग के दौरान आग लग गई, जिसमें कई यात्री घायल हुए.
- नेपाल: साल 2024 में नेपाल में प्लेन क्रैश होने के कारण 18-20 लोगों की मौत हो गई थी.
क्या कहती है एविएशन इंडस्ट्री?
अंतरराष्ट्रीय एविएशन एजेंसियां अब सभी देशों से विमान सुरक्षा नियमों को और सख्त करने की अपील कर रही हैं. साथ ही, यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नई टेक्नोलॉजी और बेहतर ट्रेनिंग सिस्टम की मांग भी उठाई जा रही है. हवाई यात्रा भले ही तेज और सुविधाजनक हो, लेकिन इसकी सुरक्षा को नजरअंदाज करना अब भारी पड़ सकता है.