Waqf Bill: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ की सुनवाई के दौरान बुधवार को पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई. 2 बजे पूरा कोर्ट रूम भरा हुआ था. 2:05 मिनिट पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन अभिषेक सिंघवी और सीयू सिंह कानून की मुखालफत करने वाले वादियों की तरफ से पेश हुए. केंद्र सरकार का पक्ष रखे के लिए सॉलिसिटर जरनल तुषार मेहता भी कोर्ट पहुंचे. 2:10 मिनट पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना,न्यायाधीश संजय कुमार और न्यायधीश के.वी विश्वनाथन ने सुनवाई शुरू की. सीजेआई ने याचिकर्ताओं से सबसे पहले दो सवाल पूछे.
सीजेआई: हमें दो पहलुओं का जवाब चाहिए: क्या हमें इस पर विचार करना चाहिए या इसे हाईकोर्ट को भेजना चाहिए? दूसरा, आप किन बिंदुओं पर बहस करना चाहते हैं. दूसरा सवाल पहले मुद्दे का भी फैसला करेगा. कपिल सिब्बल ने जिरह की शुरुआत की के अनुच्छेद 25 और 26 का हवाला देते हुए कहा की संसदीय कानून के माध्यम से जो कुछ भी करने की कोशिश की जा रही है, वह आस्था के आवश्यक और अभिन्न अंग में हस्तक्षेप करना है. अनुच्छेद 25 और 26 का संदर्भ देते हुए.
सिब्बल ने कहा धारा 3(ए)(2)- वक्फ-अल-औलाद के गठन से महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जा सकता. इस बारे में कहने वाला राज्य कौन होता है? सीजेआई ने बीच में टोकते हुए कहा: हिंदू में भी राज्य ने कानून बनाया है. संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाया है. सिब्बल ने आपने एक ऐसे अधिकारी की पहचान की है जो सरकार का अधिकारी है. यह अपने आप में असंवैधानिक है.
सीजेआई: ऐसे कितने मामले होंगे? मेरी समझ से, व्याख्या आपके पक्ष में है. अगर इसे प्राचीन स्मारक घोषित किए जाने से पहले वक्फ घोषित किया गया है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. यह वक्फ ही रहेगा, आपको तब तक आपत्ति नहीं करनी चाहिए जब तक कि इसे संरक्षित घोषित किए जाने के बाद वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता. जामा मस्जिद साहित्सभी प्राचीन स्मारक सुरक्षित रहेगी.
सिब्बल: पहले कोई सीमा नहीं थी. इनमें से कई वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण किया गया था.
सीजेआई: सीमा अधिनियम के अपने फायदे हैं.
वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस के दौरान कहा, संवैधानिक हमले का आधार यह है कि वक्फ इस्लाम के लिए आवश्यक और अभिन्न अंग है. धर्म, विशेष रूप से दान, इस्लाम का आवश्यक और अभिन्न अंग है. अन्य पहलुओं में मैं सिब्बल के तर्क को अपनाता हूँ. पहले, सीईओ मुस्लिम होना चाहिए था, अब ऐसा नहीं है. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा क्षमा करें, हम बीच में नहीं बोलना चाहते, हमें बताया गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट वक्फ की जमीन पर बना है..हम यह नहीं कह रहे हैं कि यूजर द्वारा किया गया वक्फ गलत है, लेकिन यह वास्तविक चिंता है .
वरिष्ठ वकील सिंघवी ने अपनी दलील में उन 9 लाख में से 4 लाख प्रॉपर्टी का जिक्र भी किया जो रजिस्टर्ड नहीं है साथ ही साथ ही कहा अनुच्छेद 25 और 26 को पढ़ने से ज्यादा अनुच्छेद 32 क्या है. यह ऐसा मामला नहीं है जहां मायलॉर्ड्स को हमें उच्च न्यायालय भेजना चाहिए. सीनियर एडवोकेट राजीव शकधर ने कहा मूल रूप से अनुच्छेद 31 को हटा दिया गया था, वे संपत्ति के साथ कब छेड़छाड़ कर सकते हैं? नैतिकता, स्वास्थ्य आदि के अधीन, किसी को मुस्लिम के रूप में प्रमाणित करने के लिए उन्हें 5 साल की परिवीक्षा अवधि की आवश्यकता होती है. इस बीच मुख्य न्यायाधीश ने वक्फ कानून पर स्टे लगाने की बात पर एतराज जताया.
सीजेआई: स्टे पर बहस मत कीजिए
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सॉलिसिटर जरनल तुषार मेहता से कहा की आपसे भी हमारे 3-4 प्रश्न है.
तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया
इस बिल पर जेपीसी का गठन हुआ था- इसने 38 बैठकें कीं, प्रमुख शहरों का दौरा किया, परामर्श किया, 29 लाख सुझावों पर गौर किया. तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया अब मुस्लिमों के अन्य संप्रदायों, बोहरा और अन्य को बोर्ड में प्रतिनिधित्व मिलेगा
वक्फ बाई यूजर के मुद्दे पर सवाल
'आप ऐसे वक्फ बाय यूजर के कैसे रजिस्टर्ड करेंगे? उनके पास क्या डॉक्यूमेंट है? इससे कुछ चीजें बिगड़ कती हैं. कोर्ट ने कहा कि हां, कुछ दुरुपयोग भी हैं. लेकिन कुछ असली मामले भी हैं. मैंने प्रिवी काउंसिल के फैसले भी देखे हैं. वक्फ बाय यूजर को मान्यता मिली हुई है. अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी.' वक्फ कानून को लेकर हुई हिंसा पर कोर्ट ने जताई चिंता.
सीजेआई खन्ना: एक बात बहुत परेशान करने वाली है कि जो हिंसा हो रही है. अगर मामला यहां लंबित है तो ऐसा नहीं होना चाहिए..
एसजी: हां, उन्हें लगता है कि वे इस तरह से सिस्टम पर दबाव बना सकते हैं
सिब्बल: कौन किस पर दबाव बना रहा है, हमें नहीं पता
सीजेआई: बिल में सकारात्मक बिंदु हैं, उन्हें उजागर करें.
मामले में कोर्ट के अंतरिम आदेश देने से सॉलिसिटर जनरल ने कल ओर पक्ष रखने की बात कही. कुछ अन्य अधिवक्ताओं ने भी कल सुनवाई जारी रखने को कहा. कोर्ट इस मामले को गुरुवार दोपहर 2 बजे फिर सुनवाई करेगा.