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भारत के लिए 4 दिसंबर खास है क्योंकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक महत्वपूर्ण राजकीय दौरे पर भारत पहुंच रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है, इसलिए स्वाभाविक रूप से वैश्विक स्तर पर इस मुलाकात को लेकर उत्सुकता बढ़ी है. इस बार पुतिन दिल्ली के प्रतिष्ठित ITC Maurya होटल में रुकने वाले हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि विदेशी राष्ट्राध्यक्ष 5-स्टार होटलों को ही क्यों प्राथमिकता देते हैं और राष्ट्रपति भवन का गेस्ट विंग अब कम क्यों चुना जाता है?
आजादी के बाद मेजबानी का बदलता स्वरूप
आजादी के शुरुआती वर्षों में विदेशी नेता लगभग हमेशा राष्ट्रपति भवन के अतिथि स्कंध में ठहरते थे. उस समय न तो दिल्ली में इतनी बड़ी होटल चेन थीं और न ही सुरक्षा व कूटनीतिक आवश्यकताएं इतनी व्यापक थीं. 1970 के दशक तक राष्ट्रपति भवन विदेशी अतिथियों के लिए सबसे सुरक्षित, भव्य और आधिकारिक आवास माना जाता था.
आर्थिक विकास, अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विस्तार और आधुनिक होटल इंफ्रास्ट्रक्चर के आने के साथ 1980 के दशक में यह परंपरा धीरे-धीरे बदलनी शुरू हुई. अब बड़े प्रतिनिधिमंडलों, एडवांस सुरक्षा टीमों और मीडिया क्रू के लिए अधिक विशाल और आधुनिक जगह की आवश्यकता महसूस होने लगी, जो लग्जरी होटलों में आसानी से उपलब्ध थी.
क्यों चुने जाते हैं 5-स्टार होटल?
1. उच्चस्तरीय सुरक्षा
डिप्लोमैटिक एन्क्लेव में स्थित होटल-जैसे ITC Maurya, ताज पैलेस और द ओबेरॉय-विशेष सुरक्षा प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं. यहां परिधि सुरक्षा, बुलेट-प्रूफिंग की सुविधा और आपातकालीन निकास व्यवस्था सरकार एवं SPG-स्तर की एजेंसियों के अनुरूप होती है.
2. कूटनीतिक गोपनीयता
विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को बैठकें, प्रेस ब्रीफिंग और द्विपक्षीय मुलाकातें करनी होती हैं. होटल इनमें अत्यधिक गोपनीयता और नियंत्रण प्रदान करते हैं. एक पूरा फ्लोर या विंग आसानी से आरक्षित किया जा सकता है, जो राष्ट्रपति भवन में संभव नहीं है.
3. आराम और आधुनिक सुविधाएं
ग्रैंड प्रेसिडेंशियल और राजपूताना/चाणक्य सुइट जैसे कमरे आधुनिक तकनीक, निजी कार्यालय, मीटिंग रूम और हेल्थ सुविधाओं से लैस होते हैं-जो लगातार चलने वाले राजकीय कार्यक्रमों के बीच आवश्यक आराम प्रदान करते हैं.
ITC Maurya: तीन दशकों से विदेशी मेहमानों की पहली पसंद
1977 में स्थापित ITC Maurya अपनी मौर्यकालीन वास्तुकला और भारतीय मेहमाननवाजी के लिए प्रसिद्ध है. इसका ग्रैंड प्रेसिडेंशियल सुइट कई अमेरिकी, यूरोपीय और एशियाई राष्ट्राध्यक्षों की मेजबानी कर चुका है. विशाल सुरक्षा परिसर, डिप्लोमेटिक एन्क्लेव में स्थिति और अत्याधुनिक सुविधाओं के कारण यह 2000 के दशक से विदेशी नेताओं का ‘डिफॉल्ट’ आवास बन गया.
भारत आने वाले राष्ट्र अध्यक्षों के दशक-वार बदलाव
- 1947–1970: राष्ट्रपति भवन ही प्रमुख मेजबान.
- 1980–1990: ताज पैलेस, द इंपीरियल जैसे लक्ज़री होटलों का उभरना.
- 2000–2020: ITC Maurya और ताज समूह का दबदबा.
विदेशी नेताओं का होटल चयन केवल आराम का नहीं, बल्कि सुरक्षा, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल का संयोजन है. इसी कारण ITC Maurya जैसे होटल आज भारतीय राजनयिक मेजबानी का प्रतीक बन चुके हैं.
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