Jagdeep Dhankar Networth: देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को बताया है और कहा कि डॉक्टरों की सलाह के बाद उन्होंने यह अहम फैसला लिया है. इस अप्रत्याशित कदम ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है. उनके इस्तीफे को लेकर विपक्षी दलों की ओर से तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं. इस बीच आइए जानते हैं कि आखिर जगदीप धनखड़ कितनी संपत्ति के मालिक हैं और बतौर उप राष्ट्रपति उनकी सैलरी क्या थी.
सियासत से पहले वकालत, फिर उपराष्ट्रपति पद तक का सफर
जगदीप धनखड़ एक अनुभवी वकील और राजनेता रहे हैं. बता दें कि जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति बनने से पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं और संसद में विभिन्न भूमिकाओं में सक्रिय रहे हैं. उनका राजनीतिक सफर विविधतापूर्ण रहा है और संविधान संबंधी मुद्दों पर उनकी समझ की अक्सर सराहना की जाती रही है.
उपराष्ट्रपति के रूप में मिलने वाली सुविधाएं और वेतन
देश के उपराष्ट्रपति को भारत सरकार की ओर से संविधान के तहत मासिक वेतन और विभिन्न भत्ते दिए जाते हैं. मौजूदा नियमों के मुताबिक, उपराष्ट्रपति को लगभग 4 लाख रुपए प्रति माह वेतन मिलता है. इसके अलावा उन्हें जो सुविधाएं मिलती हैं. उनमें-
- आधिकारिक आवास (नई दिल्ली के चर्च रोड स्थित वाइस प्रेसीडेंट एन्क्लेव में)
- मेडिकल सुविधाएं
- विशेष विमान और वाहन
- सुरक्षा व्यवस्था
- ट्रेवल भत्ता और स्टाफ की सुविधाएं
इतनी मिलती है हर हफ्ते सैलरी
उपराष्ट्रपति को हर सप्ताह की सैलरी की बात करें तो यह करीब 92,307 रुपए होती है. उनके सरकारी निवास में रखरखाव, स्टाफ की सैलरी और अन्य सुविधाओं का खर्च सरकार वहन करती है. अब जब जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया है, तो ये तमाम सुविधाएं समाप्त हो जाएंगी और उनके जीवन की आगे की राह उनके व्यक्तिगत संसाधनों पर आधारित होगी.
धनखड़ की संपत्ति और आय के स्रोत
हालांकि जगदीप धनखड़ की नेटवर्थ की सटीक जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनके पास करीब 8 करोड़ रुपये की संपत्ति है। इसमें चल संपत्ति 4.5 करोड़ रुपए (जैसे बैंक बैलेंस, निवेश, वाहन आदि), वहीं अचल संपत्ति 3.5 करोड़ रुपए (जैसे जमीन, घर आदि).
उनकी आय के अन्य स्रोतों की बात करें तो इसमें कृषि भूमि से होने वाली आमदनी, बैंक ब्याज, सरकारी पेंशन (पूर्व पदों के अनुसार), उनकी आर्थिक स्थिति एक स्थिर जीवनशैली को बनाए रखने में सक्षम है.
विवाद और चर्चा में रहने वाला कार्यकाल
उपराष्ट्रपति के रूप में जगदीप धनखड़ का कार्यकाल शांतिपूर्ण नहीं रहा. वे कई बार अपने बयानों और राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्ष से तीखी बहस के चलते सुर्खियों में रहे. वे संसद में नियमों की सख्त पालना और अनुशासन के पक्षधर माने जाते थे.
जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा न केवल एक संवैधानिक बदलाव है, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण घटनाक्रम है. स्वास्थ्य कारणों से भले ही उन्होंने पद छोड़ा हो, लेकिन आने वाले समय में उनकी भूमिका, सार्वजनिक जीवन में वापसी और राजनीतिक स्थिति पर नजर बनी रहेगी. उनके द्वारा छोड़े गए पद की गरिमा और जिम्मेदारियां अब किसी नए चेहरे को सौंपी जाएंगी, जो एक बार फिर इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद की गरिमा को आगे बढ़ाएगा.
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