Weather Update: इस साल सितंबर महीने में भारी बरसात हो रही है. मानसून देर से जा रहा है. सवाल है कि क्या इस साल सर्दी जल्दी आ जाएगी. क्या इस साल ठंड के सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे. मौसम विभाग की तरफ से रिकॉर्ड तोड़ ठंड का अनुमान जताया गया है. सवाल है कि आखिर रिकॉर्ड तोड़ ठंड की भविष्यवाणी की क्यों जा रही है. दक्षिण से लेकर मध्य भारत तक सैलाब की तस्वीरें सामान्य नहीं है. असामान्य बरसात के बाद क्या इस साल भीषण बर्फ बारी और ठंड की बारी है. क्या दिसंबर में भीषण स्नो अटैक होने वाला है. क्या हिमालय में रिकॉर्ड बर्फबारी हो सकती है.
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पहाड़ों में जल्द ही बर्फीली आधी का दौर शुरू हो सकता है
क्या पहाड़ों में जल्द ही बर्फीली आधी का दौर शुरू हो सकता है. क्या इस साल पहाड़ों में बर्फबारी के सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे. वैसे पिछले कुछ सालों से पहाड़ों को कम बर्फबारी की आफत से दो चार होना पड़ा है, लेकिन क्या इस साल स्थिति बदल सकती है. अगर पहाड़ रिकॉर्ड बर्फबारी और ठंड से कांपता है तो तय है कि मैदान और रेगिस्तानी इलाकों में भी कोल्ड का ज्यादा टॉर्चर देखने को मिलेगा. इस साल शीत लहर का ज्यादा प्रकोप देखने को मिलेगा. क्या इस साल कोल्ड वेव के दिनों में भी इजाफा होने वाला है. अगर मौसम विभाग की मानें तो सारे सवालों का जवाब हां हो सकता है. भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि आईएमडी के मुताबिक देश में इस बार असाधारण ठंड पड़ सकती है. हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों में खास तौर से कड़ाके की ठंड का अनुमान जताया जा रहा है.
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सामान्य से 3 डिग्री नीचे तक जा सकता है तापमान
यहां सामान्य से 3 डिग्री नीचे तक का तापमान दर्ज हो सकता है. कोल्डवेव में इजाफे की वजह खास तरह के वेदर पैटर्न को बताया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ला नीना की वजह से उठेगी भयंकर शीत लहर. ला नीना का साफ असर दिखने लगा है. मानसून का सीजन आमतौर पर सितंबर में समाप्त हो जाता है. इस साल यह आगे बढ़ रहा है. इसका सीधा रिश्ता समुद्र के ठंडा होने से है. इसकी वजह से मौसम का सामान्य पैटर्न प्रभावित हुआ है और भारी बरसात भी हुई है. दक्षिणी और मध्य भारत में खास तौर से ज्यादा बारिश हुई है. गाड़ियां पानी में डूबी टैंकर पानी में बह गया, जगह जगह लोगों को रेस्क्यू किया जा रहा है. इस बारिश की वजह ला नीना को बताया जा रहा है. ला नीना के असर की बात की जाए तो इसकी वजह से प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से नीचे चला जाता है.