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चुनाव आयोग Photograph: (Social Media)
केंद्र सरकार वोटर आईडी कार्ड और आधार को आपस में लिंक करने की तैयारी कर रही है. चुनाव आयोग और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी कि यूआईडीएआई की बैठक हुई. उसमें यह बड़ा फैसला किया गया है और इसके लिए जल्द ही अब एक्सपर्ट्स की राय ली जाएगी. आयोग का यह कहना है कि वोटर आईडी कार्ड को आधार से जोड़ने का काम मौजूदा कानून और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार ही होगा. इससे पहले 2015 में भी इस तरह की कोशिश हो चुकी है, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई. सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने के बाद इस प्रक्रिया को बंद कर दिया गया था.
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क्या है चुनाव आयोग का तर्क
चुनाव आयोग ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 326 के मुताबिक मतदान का अधिकार केवल भारत के नागरिक को दिया जा सकता है, लेकिन आधार कार्ड केवल एक व्यक्ति की पहचान के तौर पर लिया जाता है और इसीलिए यह निर्णय लिया गया कि मतदाता फोटो पहचान पत्र को आधार से लिंक करने के लिए सभी कानूनों का पालन होगा चलिए. अब जान लेते हैं कि आखिरकार वोटर आईडी कार्ड और आधार कार्ड को लिंक करने की प्रक्रिया क्या है. दरअसल, कानून मतदाता सूचियों को आधार डेटाबेस के साथ स्वैच्छिक रूप से जोड़ने की अनुमति देता है. सरकार ने संसद में ये जानकारी दी थी कि आधार वोटर कार्ड लिंक करने की प्रक्रिया पहले से चल रही है और प्रस्तावित लिंकिंग के लिए कोई लक्ष्य या फिर समय सीमा निर्धारित नहीं की गई थी. सरकार ने यह भी कहा था कि जो लोग अपने आधार कार्ड को मतदाता सूची से नहीं जोड़ते हैं, उनके नाम मतदाता सूची से काटे नहीं जाएंगे. चुनाव आयोग ने अप्रैल 2025 से पहले सुझाव मांगे हैं.
Election Commission will take action as per Article 326, RP act, 1950 and relevant Supreme Court judgements, for linking EPIC with Aadhaar.
— Election Commission of India (@ECISVEEP) March 18, 2025
Technical consultations between UIDAI and experts of ECI are to begin soon.
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जानें क्या है पूरा मामला
भारतीय निर्वाचन आयोग यानी कि ईसीआई के मुताबिक वोटर आधार को लिंक करने का मकसद आगामी चुनाव से पहले चुनावी प्रक्रिया में और ज्यादा पारदर्शिता समावेशित और एफिशिएंसी को बढ़ाना है. चुनाव आयोग इसे लेकर के निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों यानी कि ईआरओ जिला चुनाव अधिकारियों यानी कि डीईओ और मुख्य चुनाव अधिकारियों यानी कि सीईओ लेवल पर भी एक बैठक करेगा, जिसमें विस्तार से इसे लेकर एक रणनीति बनाई जाएगी. इसके लिए पिछले 10 साल में पहली बार चुनाव आयोग ने कानूनी ढांचे के भीतर सभी राष्ट्रीय और राज्य मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों अधिकारियों आप से सुझाव मांगे हैं. दरअसल विपक्ष की ओर से यह मुद्दा उठाया गया था और इसके बाद लगातार इस पर चर्चाएं थी कि आखिरकार क्या चुनाव आयोग की तरफ से यह कदम उठाया जा सकता है. एक महत्त्वपूर्ण बैठक में यह फैसला किया गया. वहीं, सुप्रीम कोर्ट वोटर आईडी को आधार से लिंक करने पर पहले रोक लगा चुका है. क्योंकि वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का प्रयास चुनाव आयोग पहले कर चुका है.
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क्या है सुप्रीम कोर्ट का मत
चुनाव आयोग ने मार्च 2015 से लेकर के अगस्त 2015 तक राष्ट्रीय मतदाता सूचियों के शुद्धीकरण का कार्यक्रम चलाया था. देश भर में और उस वक्त चुनाव आयोग ने 30 करोड़ से ज्यादा वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक करने का प्रोसेस पूरा कर लिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बीच में रोक लगा दी और सुप्रीम कोर्ट की रोक से वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया रुक गई थी. दरअसल, वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया के दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 55 लाख लोगों के नाम वोटर डेटाबेस से हटाए गए थे और इसी को लेकर के आधार की संवैधानिक पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट यानी कि शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को वोटर आईडी और आधार को लिंक करने से रोक दिया था.