ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल हथियार बने मेन्यू की पहचान, विजय दिवस से पहले सेना प्रमुख का कार्यक्रम,

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 1971 युद्ध के विजय दिवस की पूर्व संध्या पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया. इसमें ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मार गिराए गए पाकिस्तानी ड्रोन का प्रदर्शन हुआ. कार्यक्रम के मेन्यू में भारतीय हथियारों के नाम पर डिशेज शामिल रहीं.

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 1971 युद्ध के विजय दिवस की पूर्व संध्या पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया. इसमें ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मार गिराए गए पाकिस्तानी ड्रोन का प्रदर्शन हुआ. कार्यक्रम के मेन्यू में भारतीय हथियारों के नाम पर डिशेज शामिल रहीं.

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Ravi Prashant
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VIJAY DIWAS

विजय दिवस पर कार्यक्रम Photograph: (x)

भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार 15 दिसंबर 2025 को 1971 के भारत-पाक युद्ध के विजय दिवस की पूर्व संध्या पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया. यह कार्यक्रम सैन्य परंपरा, आधुनिक तकनीक और राष्ट्र की सामरिक क्षमता को दर्शाने वाला रहा. कार्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के मार गिराए गए यीहवा ड्रोन को प्रदर्शित किया गया, जो हाल के सैन्य अभियानों में भारतीय वायु रक्षा प्रणाली की सफलता का प्रतीक माना जा रहा है.

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इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, पूर्व सैनिक और विशिष्ट अतिथि शामिल हुए. आयोजन का सबसे अनोखा और चर्चित पहलू इसका मेन्यू रहा, जिसमें परोसी गई डिशेज के नाम ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्तेमाल किए गए भारतीय हथियारों पर रखे गए थे. इसे सैन्य शक्ति के प्रति सम्मान और रचनात्मक प्रस्तुति के रूप में देखा गया.

आकाश और बोफोर्स नाम की रेसिपी

कार्यक्रम में सिंदूरी-संदेश मिठाई के साथ-साथ आकाश, बोफोर्स और एल-70 जैसे नामों की रेसिपीज को शामिल किया गया. इन नामों के पीछे भारत की सैन्य क्षमता और रक्षा तकनीक की कहानी छिपी है. एल-70 एक 40 एमएम की एंटी-एयरक्राफ्ट गन है, जिसे मूल रूप से स्वीडन की बोफोर्स कंपनी ने विकसित किया था. भारत ने इसे 1960 के दशक में खरीदा और अब यह पूरी तरह भारतीय तकनीक से उन्नत की जा चुकी है.

एल-70 गन एक मिनट में 240 से 330 राउंड फायर करने में सक्षम है. इसी वर्ष विजयादशमी के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भुज में एल-70 एयर डिफेंस गन की पूजा की थी. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस गन ने पाकिस्तान के ड्रोन गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

आकाश मिसाइल और बोफोर्स की भूमिका

आकाश मिसाइल सिस्टम पूरी तरह स्वदेशी है और इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है. यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जो 45 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के विमान, ड्रोन और क्रूज मिसाइल को नष्ट करने में सक्षम है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आकाश मिसाइल सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया, जिसके बाद वैश्विक स्तर पर भारतीय हथियार प्रणालियों की क्षमता को सराहा गया.

कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाली बोफोर्स तोप अब और भी घातक बन चुकी है. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने इसमें आधुनिक ड्रोन गार्ड सिस्टम लगाया है. भारतीय सेना ने इस उन्नत प्रणाली के जरिए दुश्मन के बंकरों और ठिकानों को प्रभावी ढंग से नष्ट किया है.

विजय दिवस का ऐतिहासिक महत्व

हर वर्ष 16 दिसंबर को विजय दिवस 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की निर्णायक जीत की याद में मनाया जाता है. इसी युद्ध के परिणामस्वरूप बांग्लादेश का जन्म हुआ. 25 मार्च से 16 दिसंबर 1971 तक पूर्वी पाकिस्तान में हुए नरसंहार के बाद भारत ने 4 दिसंबर को युद्ध की घोषणा की थी. 16 दिसंबर को युद्ध समाप्त हुआ और पाकिस्तान के लगभग 82 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया.

1974 में पाकिस्तान ने बांग्लादेश को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी. सेना प्रमुख द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम न केवल इतिहास को याद करने का अवसर था, बल्कि यह भारत की वर्तमान सैन्य ताकत और स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का भी सशक्त संदेश देता है.

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