जयपुर बम धमाके के मामले में आया फैसला, 4 आतंकियों को आजीवन कारावास की सजा

जयपुर बम धमाके में कोर्ट का फैसला आ गया है. जयपुर ब्लास्ट के आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. 4 अप्रैल को जज रमेश कुमार जोशी ने सभी आतंकियों को दोषी ठहराया था.

जयपुर बम धमाके में कोर्ट का फैसला आ गया है. जयपुर ब्लास्ट के आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. 4 अप्रैल को जज रमेश कुमार जोशी ने सभी आतंकियों को दोषी ठहराया था.

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Mohit Saxena
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जयपुर बम धमाके से जुड़े मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है. जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. जिंदा बम मिलने के केस में दोषी ठहराए गए चारों आतंकियों को सजा सुनाई गई है. जज रमेश कुमार जोशी ने 4 अप्रैल को सभी आरोपियों को दोषी ठहराया था. जयपुर में करीब 17 वर्ष पहले हुए सीरियल बम धमाकों के दौरान जिंदा मिले बम के मामले में चारों आतंकियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. अदालत ने 600 पेज का अपना निर्णय सुनाया है. ये धमाके 13 मई को 2008 को जयपुर में हुए थे. इस दौरान 8 सीरियल ब्लास्ट हुए थे. नौंवा बम चांदपोल बाजार के गेस्ट हाउस के करीब मिला था. बम फटने के 15 मिनट पहले ही इसे डिफ्यूज कर दिया गया था. 

अदालत ने 4 अप्रैल को ठहराया था दोषी  

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जयपुर बम धमाके में विशेष कोर्ट ने पहले 29 मार्च को निर्णय का दिन तय किया था. इसके बाद 4 अप्रैल को फैसला सामने आया. इसमें सभी आरोपियों को दोषी ठहराया गया. मंगलवार को दोषियों को सजा सुनाई गई. 

जिंदा बम को प्लांट करने के केस में जज रमेश कुमार जोशी की विशेष अदालत ने मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी, सैफुर रहमान और मोहम्मद सलमान को उम्रकैद की सजा सुनाई. सजा सुनने के बाद दोषियों के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. उन्हें किसी तरह का अफसोस नहीं था. इससे पहले 20 दिसंबर 2019 को जयपुर धमाकों के केस में इन चार दोषियों को विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. इसे हाईकोर्ट ने रद्द करते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. 

पहले हो चुके हैं बरी

2019 में जयपुर धमाकों के केस में शाहबाज को छोड़कर इन चार लोगों को दोषी ठहराते हुए खास अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन 29 मार्च 2023 को राजस्थान हाईकोर्ट ने विशेष अदालत का निर्णय पलटते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने अभियुक्तों को बरी करने का निर्णय सुनाते हुए कहा था कि पुलिस के आतंकवाद-निरोधी दस्ता किसी तरह का सबूत पेश नहीं कर सका था. ऐसे में इन्हें बरी कर दिया गया. 

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