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Vande Mataram (NN)
Vande Mataram: वंदे मातरम, देश का राष्ट्रगीत है. आज से 150 साल पहले वंदे मातरम की रचना की गई थी. बंकिम चंद्र चैटर्जी के शब्दों ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, स्वतंत्रता सेनानियों से लेकर आम नागरिकों तक में देशभक्ति की अलख जगाई. चैटर्जी के कलम से निकले शब्द स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का शक्तिशाली प्रतीक बन गया.
वंदे मातरम मूल रूप से 1875 में लिखी गई थी. पहली बार सात नवंबर 1875 को ये कविता बंगदर्शन में प्रकाशित हुई. इसे बाद में आनंद मठ उपन्यास में शामिल किया गया.
क्यों लिखा गया वंदे मातरम
1870 के दशक में भारत अंग्रेजों का गुलाम था. उस वक्त बंकिम चंद्र को एक ऐसे मंत्र की तलाश थी, जो हर एक भारतीय को एकजुट कर सके. उन्होंने भारतीयों को एक धागे में पिरोने के लिए वंदे मातरम की रचना की. ये गीत भारत को एक देवी यानी भारत माता के रूप में देखता था. इस गीत का उद्देश्य था कि देश की मुक्ति ही देशवासियों के लिए पूजा का एक कार्य बन जाए. गीत संन्यासी विद्रोह और 1857 की क्रांति से प्रेरित था.
अब जानें वंदे मातरम की शुरुआत से अब तक की यात्रा
- 1870 के दशक: बंकिम चंद्र चटर्जी ने वंदे मातरम की रचना की. संस्कृत और बंगाली मिश्रित भाषा में इसे लिखा गया था.
- 7 नवंबर 1875: पहली बार ये यह गीत साहित्यिक पत्रिका 'बंगदर्शन' में प्रकाशित हुआ.
- 1882: बंकिम चंद्र चटर्जी के प्रसिद्ध उपन्यास 'आनंदमठ' में वंदे मातरम को शामिल किया गया. वंदे मातरम को इससे व्यापक स्तर पर पहचान मिली.
- 1896: रवींद्रनाथ टैगोर ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार सार्वजनिक और राजनीतिक मंच पर वंदे मातरम का पाठ किया.
- 1905: बंगाल विभाजन के विरोध में चले स्वदेशी आंदोलन के दौरान यह गीत एक शक्तिशाली राजनीतिक नारा बन गया. स्वतंत्रता सेनानियों को गीत ने बहुत प्रेरणा दी.
- 1907: जर्मनी के स्टटगार्ट में मैडम भीकाजी कामा ने भारत का पहला तिरंगा झंडा फहराया. इस झंडे पर वंदे मातरम अंकित था.
- 1937: गीत के धार्मिक पहलुओं की वजह से कांग्रेस कार्य समिति ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि इसके शुरुआती दो श्लोकों को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया जाएगा. ऐसा इसलिए कि ये सभी समुदायों के लिए उचित हो सके.
- 24 जनवरी 1950: भारत की संविधान सभा ने आधिकारिक तौर पर "वंदे मातरम" को राष्ट्रगीत यानी National Song के रूप में अपनाया. उस वक्त के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ऐलान किया कि वंदे मातरम का सम्मान और दर्जा ठीक भारत के राष्ट्रगान "जन गण मन" की तरह ही होगा.
- 2025: वंदे मातरम की रचना के 150 वर्ष पूरे हो गए. देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इसे सेलिब्रेट किया जा रहा है.
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