US Vice President JD Vance india Visit: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर शुरू हुई टैरिफ वॉर ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया है. अमेरिका ने भारत पर 26 फीसदी रेसिप्रोकल टैक्स लगाने की घोषणा की हे. ट्रंप की इस घोषणा के बीच उनके सबसे खास प्रतिनिधि अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर हैं. उनके साथ भारतीय मूल की पत्नी उषा चिलुकुरी अपने तीन बच्चें के साथ देश आई हैं. वेंस का दौरा भारत के लिए अहम मौका है.
जेडी वेंस इस दौरे पर पीएम नरेंद्र मोदी से कई मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं. इसमें सबसे अहम चीन, अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर है. चीन के 125 फीसदी टैरिफ के जवाब में अमेरिका ने चीन के आयात पर 245 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. इसके बाद से दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर चरम पर है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका का विकल्प तलाशने में जुट चुके हैं. वे पूर्वी एशियाई देशों वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया का दौरा कर रहे हैं.
भारत को 90 दिनों की मोहलत दी है
हालांकि अन्य देशों के मुकाबले अमेरिका ने टैरिफ के मामले में भारत को 90 दिनों की मोहलत दी है. दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार, तकनीक और जलवायु परिवर्तन जैसे अहम मुद्दों पर सहयोग लगातार आगे बढ़ रहा है. एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन तेजी से सक्रिय हो रहा है. इसे देखते हुए अमेरिका भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना चाहता है. इस मामले में वेंस का दौरा कई मायनों में काफी अहम माना जा रहा है.
टैरिफ पर कुछ राहत का आश्वासन हासिल हो सके
भारत का प्रयास होगा कि टैरिफ में उसे अधिक रियायत मिले. भारत का प्रयास होगा कि ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ पर कुछ राहत हासिल की जा सके. इस मुलाकात के दौरान टैरिफ पर कुछ राहत का आश्वासन मिल सके. इसके अलावा दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने पर जोर होगा. प्रवासी भारतीय के मामले पर भी जोर होगा. चीन के ट्रेड वॉर के बीच कई भारतीय कंपनियां भारत में निवेश का मौके तलाशने में जुटी हैं. इस लिस्ट में ट्रंप के करीबी दोस्त एलन मस्क की कंपनी टेस्ला का नाम भी जुड़ा है. अगर भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय समझौता होता है तो दोनों देशों के बीच बात बन सकती है.
भारत बड़ा विकल्प
चीन की ताकत को ट्रंप को कुलचने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में भारत उनके लिए बड़ा विकल्प बनकर उभरा है. अमेरिका के साथ समझौते के हालात में अमेरिकी बाजार में भारतीय प्रोडक्ट्स की पहुंच बढ़ सकती है. अमेरिकी कंपनियां चीन की जगह भारत का रुख करेंगी. चीन के बदले भारत अमेरिकी कंपनियों के लिए मैन्युफैक्चरिंग हब सकता है. इस तरह से भारत में निवेश को बढ़ावा मिलेगा. रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.