फिर अमेरिका में जलील हुआ पाकिस्तान, US सांसद के इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए बिलावल भुट्टो

पाकिस्तान को हर जगह शर्मनाक बेइज्जती ही सहना पड़ता है. पाकिस्तान को अमेरिका में फिर से जलील किया गया है. अमेरिका के सांसद ने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाई है.

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Jalaj Kumar Mishra
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US Congressman Slams Pakistan Bilawal Bhutto

Bilawal Bhutto

पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जो जहां जाता है. वहीं मजाक बन जाता है. पाकिस्तान को हर जगह शर्म से सिर झुकाना ही पड़ता है. पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टों इन दिनों अमेरिका में हैं. इस दौरान, एक वरिष्ठ अमेरिकी सासंद ने उसे ऐसी खरी खोटी सुनाई कि बिलावल के मुंह से एक शब्द नहीं निकल पाया.  

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अमेरिकी सांसद ब्रैड शेरमैन ने बिलावल से कहा कि जैश-ए-मोहम्मद को खत्म करने के लिए काम करिए. उन्होंने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से कहा कि वे आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें. साथ ही देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें.

पाकिस्तान ने अमेरिका भेजा है अपना प्रतिनिधिमंडल

दरअसल, भारत की तर्ज पर पाकिस्तान ने भी अपना एक प्रतिनिधिमंडल को अमेरिका भेजा है. भारत का जो दल अमेरिका गया है, उसका प्रतिनिधित्व कांग्रेस सासंद शशि थरूर कर रहे हैं. वहीं, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बिलावल भुट्टो कर रहे हैं. इसी यात्रा के दौरान, अमेरिकी सांसद ने बिलावल के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. 

अमेरिका सांसद ने एक्स पर किया पोस्ट

पाकिस्तानी दल से मिलने के बाद शेरमन ने एक्स पर कहा कि मैंने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को आतंक के खिलाफ लड़ने की अहमियत सिखाई. मैंने उनसे जैश-ए-मोहम्मद को खत्म करने के लिए कहा है. अमेरिकी सासंद ने पाकिस्तानी दल से डॉ. शकील अफरीदी की रिहाई के लिए काम करने के लिए कहा. अफरीदी ने अमेरिका के खुफिया एजेंसियों को ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में मदद की थी. शेरमन ने कहा कि अफरीदी को रिहा किया जाना 9/11 पीड़ितों के लिए अहम कदम है. बता दें, 2011 में अफरीदी को छापेमारी में गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्तानी अदालत ने उसे 33 साल के कारावास की सजा सुनाई है.

 

धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में चिंता जताई

अमेरिकी सासंद ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू, ईसाई और अहमदियों के साथ भेदभाव होता है. उन्हें हिंसा और उत्पीड़न सहना पड़ता है. उन्हें भी बिना किसी डर के अपने धर्म का पालन करें और लोकतांत्रिक प्रणाली में शामिल होने की अनुमति होनी चाहिए.  

 

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