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अनुराग ठाकुर ने किसानों से बातचीत जारी रखने की अपील की, कांग्रेस पर लगाया देश को गुमराह करने का आरोप

अनुराग ठाकुर ने किसानों से बातचीत जारी रखने की अपील की, कांग्रेस पर लगाया देश को गुमराह करने का आरोप

Updated on: 13 Feb 2024, 08:20 PM

नई दिल्ली:

किसान आंदोलन को लेकर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, सरकार ने हमेशा किसानों के हित में ही अच्छे निर्णय लिए हैं और आगे भी लेगी।

ठाकुर ने किसान संगठनों से बातचीत जारी रखने का आग्रह करते हुए कहा कि महात्मा गांधी के देश में बातचीत से बहुत रास्ते निकल सकते हैं। उन्होंने पूर्व नौसैनिकों की रिहाई का उदाहरण देते हुए किसान संगठनों से कहा कि आप हाल के कतर का उदाहरण ले सकते हैं, जहां प्रधानमंत्री मोदी ने नेतृत्व कर, बातचीत के जरिए हमारे आठ पूर्व नौसैनिकों की सकुशल देश वापसी कराई।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने प्रदर्शनकारियों से हर स्तर पर चर्चा की है, बातचीत के दरवाज़े सदा खुले हुए हैं। प्रदर्शन की आड़ में कुछ लोग राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं। किसानों को लेकर सरकार की गंभीरता इससे नजर आती है कि सरकार के मंत्रियों ने दो बार चंडीगढ़ जाकर उनसे बात की और सोमवार रात को भी मंत्री वहां देर रात तक बैठे रहे, लगातार चर्चा करते रहे। मंत्री अंतिम समय तक उनको (किसान संगठनों) कहते रहे कि आप बैठिए और चर्चा कीजिए, मंत्री बातचीत से उठ कर नहीं गए।

उन्होंने कहा कि सरकार स्पष्ट तौर से चर्चा की पक्षधर है इसीलिए बातचीत से उठकर हम नहीं गए, लेकिन प्रदर्शनकारी पहले चले गए।

केंद्रीय मंत्री ठाकुर ने कांग्रेस पर किसानों के मुद्दे पर देश को गुमराह करने का बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ लोग इस मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां सेकना चाहते हैं। कांग्रेस के बयान पर उन्हें हंसी आती है। 2013-14 में जब उनकी सरकार थी, तब यूपीए काल का सबसे ज्यादा कृषि बजट 27 हजार 662 करोड़ रुपए था। अभी मोदी सरकार का कृषि बजट 1 लाख 25 हजार करोड़ से ज्यादा है यानी यूपीए काल से 5 गुना ज्यादा कृषि बजट है। उनके समय किसान सम्मान निधि नहीं थी, हमने किसान सम्मान निधि के माध्यम से 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को 2 लाख 81 हजार करोड़ रुपए सीधा उनके बैंक खातों में हस्तांतरित किए हैं। उनके समय में फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को कुछ नहीं मिलता था। मोदी सरकार में डेढ़ लाख करोड़ से ज्यादा का मुआवजा किसानों को मिला है। 10 हजार एफपीओ में से 8 हजार बन चुके हैं और इससे लाखों किसान भी जुड़ चुके हैं।

राहुल गांधी की एमएसपी की कानूनी गारंटी देने के वादे पर पलटवार करते हुए ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस एमएसपी पर बार-बार लोगों को भ्रमित करने का काम करती है। सच्चाई यह है कि कांग्रेस के समय में दाल, गेहूं, दलहन और तिलहन की कुल खरीदारी 5 लाख 50 हजार करोड़ रुपए की हुई थी। मोदी सरकार ने यूपीए सरकार की तुलना में लगभग साढ़े तीन गुना ज्यादा 18 लाख 39 हजार करोड़ रुपए की खरीददारी की। यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने एमएसपी भी बढ़ाई और खरीदी भी कई गुना ज्यादा की।

उन्होंने राहुल गांधी की गारंटी पर कटाक्ष करते हुए यह भी कहा कि आज तक कांग्रेस की गारंटियां फेल ही हुई है और देश को सिर्फ मोदी की गारंटी पर ही भरोसा है।

उन्होंने कहा कि सिंचाई योजनाओं के लिए मोदी सरकार ने डेढ़ गुना ज्यादा यानी लगभग 15 हजार 500 करोड़ रुपए खर्च किए। उनके समय कृषि ऋण मात्र 7 लाख करोड़ रुपए के आसपास था, जिसे बढ़ाकर मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए किया है और यह मात्र पिछले वर्ष का आंकड़ा है। उनके समय एक्सपोर्ट 2 लाख 62 हजार करोड़ रुपए का था, मोदी सरकार ने इसे बढ़ाकर 4 लाख 27 हजार करोड़़ रुपए का किया। साठ साल कांग्रेस की केंद्र में सरकार रही, मगर किसानों के हित के लिए उनकी सरकार ने कुछ नहीं किया। कांग्रेस ने चौधरी चरण सिंह और स्वामीनाथन को उनका उचित मान सम्मान तक नहीं दिया। मोदी सरकार ने दोनों को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। यूपीए के 10 वर्ष बीत गए पर स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू नहीं की गई। मोदी सरकार ने उस रिपोर्ट को भी लागू किया है।

उन्होंने बातचीत के दौरान किसान संगठनों द्वारा कुछ नए मुद्दे उठाने का जिक्र करते हुए कहा कि वो कहते हैं कि डब्ल्यूटीओ से भारत को हट जाना चाहिए, फ्री ट्रेड अग्रीमेंट रद्द कर देने चाहिए, देश में स्मार्ट मीटर बंद कर देने चाहिए और पराली को जलाने जैसे मुद्दों पर कृषि क्षेत्र को जलवायु के अंदर नहीं लाना चाहिए, ऐसे नए मुद्दे जुड़ते जा रहे हैं और पहली बैठक में इन सारे मुद्दों का रास्ता नहीं निकल सकता इसलिए सरकार ने उनसे इतना ही कहा कि सरकार इन सारे मुद्दों पर भी चर्चा के लिए तैयार है। कमेटी का गठन कर उसे विचार करने के लिए थोड़ा समय भी देना पड़ेगा।

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