दिल्ली में शुरू हुआ यूएन पीस कीपिंग सम्मिट, फंड कट की चुनौती के बीच यूएन पीस मिशन को बनाए रखने की कवायद

भारत की राजधानी नई दिल्ली में मंगलवार से  संयुक्त राष्ट्र ट्रूप्स कंट्रीब्यूटिंग कंट्रीज का सबसे बड़ा सम्मेलन शुरू हुआ।  मानेकशॉ केंद्र में शुरू हुए इस तीन दिवसीय सम्मेलन में का आगाज  भारतीय सेना ने किया है.

भारत की राजधानी नई दिल्ली में मंगलवार से  संयुक्त राष्ट्र ट्रूप्स कंट्रीब्यूटिंग कंट्रीज का सबसे बड़ा सम्मेलन शुरू हुआ।  मानेकशॉ केंद्र में शुरू हुए इस तीन दिवसीय सम्मेलन में का आगाज  भारतीय सेना ने किया है.

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Madhurendra Kumar
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भारत की राजधानी नई दिल्ली में मंगलवार से  संयुक्त राष्ट्र ट्रूप्स कंट्रीब्यूटिंग कंट्रीज का सबसे बड़ा सम्मेलन शुरू हुआ।  मानेकशॉ केंद्र में शुरू हुए इस तीन दिवसीय सम्मेलन में का आगाज  भारतीय सेना ने किया है जिसमें 32 देशों के सैन्य प्रमुखों और संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारिया हिस्सा ले रहे हैं।

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भारत का संदेश: शांति-रक्षा मानवता का दायित्व

उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के लिए शांति-रक्षा केवल सैन्य कर्तव्य नहीं, बल्कि मानवता के प्रति नैतिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि भारत की सोच “वसुधैव कुटुम्बकम्” और अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित है। रक्षा मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि वैश्विक संस्थाओं में सुधार हो और दल-योगदानकारी देशों को निर्णय प्रक्रिया में अधिक भागीदारी मिले। उन्होंने भविष्य की दिशा तय करने के लिए “4C सिद्धांत” – कंसल्टेशन, कोऑपरेशन, कॉर्डिनेशन और कैपेसिटी बिल्डिंग को अपनाने पर बल दिया।

सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा

भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि भारत अब तक 50 से अधिक संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में लगभग 3 लाख सैनिकों का योगदान दे चुका है। उन्होंने कहा कि भविष्य की शांति-रक्षा तकनीक, अनुकूलन और साझेदारी पर आधारित होगी। जनरल द्विवेदी ने अपने सोमालिया मिशन के अनुभव साझा करते हुए कहा कि भारत की नीति केवल स्थिरता नहीं बल्कि दीर्घकालिक शांति स्थापित करने की है।

संयुक्त राष्ट्र ने भारत की सराहना की

संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों विभाग (DPO) के उप महासचिव ज्यां-पियरे लैक्रोइक्स  ने भारत की मेजबानी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि दल-योगदानकारी देशों की भूमिका शांति अभियानों की सफलता और स्थिरता के लिए बहुत अहम है।

भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथनेनी हरीश ने भविष्य की रूपरेखा रखी

भारत के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथनेनी हरीश ने विषय “शांति-रक्षा का भविष्य: सामूहिक सुरक्षा का दृष्टिकोण” पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भविष्य के अभियानों में सैनिकों की सुरक्षा, संसाधनों की उपलब्धता, लैंगिक समानता, तकनीकी नवाचार और क्षेत्रीय सहयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने भारत की “No National Caveat” नीति का उल्लेख करते हुए शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों के लिए सख्त जवाबदेही की आवश्यकता बताई।

पहले दिन की कार्यवाही

सम्मेलन के पहले दिन तीन प्रमुख सत्र आयोजित किए गए जिनका विषय था “संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए आगे की राह (The Way Ahead for UN Peacekeeping Operations)।” इन सत्रों में भाग लेने वाले देशों ने अपने अनुभव, चुनौतियाँ और सुधार के सुझाव साझा किए।

सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान और वियतनाम के सेनाध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। इसके अलावा उन्होंने फ्रांस, मंगोलिया, उरुग्वे, श्रीलंका और भूटान के सैन्य प्रमुखों से भी रक्षा सहयोग पर चर्चा की। वहीं उप सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह ने इटली और आर्मेनिया के प्रतिनिधियों से भी विचार-विमर्श किया।

सम्मेलन के मुख्य बिंदु

इस सम्मेलन में यह तय किया गया कि भविष्य में शांति-रक्षा अभियानों को और अधिक उत्तरदायी, लिंग-संवेदनशील और क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुरूप बनाया जाएगा। प्रौद्योगिकी और नवाचार को इसमें शामिल किया जाएगा, दल-योगदानकारी देशों की भागीदारी को बढ़ाया जाएगा और सैनिकों की सुरक्षा व संसाधनों की गारंटी सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने और संचालनात्मक मानकों को सुसंगत बनाने पर भी जोर दिया गया।

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