रूस के तेल के पीछे क्यों पड़ गए हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

Ukraine War: अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि अमेरिका का लक्ष्य रूस की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करना है.

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Mohit Sharma
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Ukraine War: अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि अमेरिका का लक्ष्य रूस की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करना है.

महज एक फोन कॉल से यूक्रेन युद्ध को रुकवाने का दावा करने वाले अमेरिका के प्रेसिडेंट ट्रंप अब वो राष्ट्रपति बने उनके छह महीने हो चुके हैं और जंग तो छोड़िए अभी तक वो दोनों राष्ट्रपति यानी यूक्रेनीय राष्ट्रपति जेलस्की और रूसी राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन को एक साथ एक टेबल पर बैठा तक नहीं पाए. ट्रंप को समझ आ गया है कि इस जंग को खत्म करना कितना मुश्किल है और अब वह उसी पुराने फार्मूले पर वापस चले गए हैं जिसका पूर्व राष्ट्रपति बाइडन पालन कर रहे थे. यानी यूक्रेन को अधिक से अधिक हथियार देना और रूस पर पाबंदी लगाना और उसकी इकॉनमी को कमजोर करना. रूसी इकॉनमी को कमजोर करने के लिए ट्रंप अब रूसी तेल को अपना निशाना बना रहे हैं. जिसका सबसे बड़ा खरीदार भारत और चीन है.

अमेरिका का लक्ष्य रूस की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करना

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अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि अमेरिका का लक्ष्य रूस की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करना है. उन्होंने सुझाव दिया कि अगर अमेरिका और यूरोपीय संघ मिलकर रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाते हैं तो रूसी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी. जिससे पुतिन बातचीत के लिए तैयार हो सकते हैं. स्कॉट बेसेंट ने एक मीडिया चैनल को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेवेंस ने यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेयर लयन के साथ एक बहुत ही सार्थक बातचीत की. शुक्रवार को कॉल पर यह बातचीत की गई और उन्होंने चर्चा की कि रूस पर अधिक दबाव बनाने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ यानी ईयू क्या कर सकते हैं.

भारत पर लगाया मोटा टैरिफ

भारत को रूसी तेल खरीदने से रोकने करने के लिए प्रशासन ने पहले घोषित 25% के अलावा रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर 25% अतिरिक्त टेरिफ लगाया है. 27 अगस्त से भारत पर लगाया गया कुल टेरिफ 50% हो गया है. ट्रेजडी सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि अमेरिका रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए तैयार है. लेकिन हमें अपने यूरोपीय साझेदारों की जरूरत है. वहीं भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को अनुचित बताया. रूस से कच्चा तेल खरीदने पर बचाव करते हुए भारत यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद उसकी अपनी जरूरत के हिसाब से है. रूसी तेल को लेकर अमेरिकी सरकार ने यह नया डेवलपमेंट ऐसे वक्त में हो रहा है जब कुछ दिन पहले ही राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रेस और सोशल मीडिया के जरिए एक दूसरे की प्रशंसा की थी. 

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