Trump Tariffs : डोनाल्ड ट्रंप का भारत-चीन पर हमला, क्या 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा अमेरिका

अमेरिका का कहना है कि चीन और भारत रूस से जो तेल खरीद रहे हैं, उसी पैसे से रूस अपनी जंग चला रहा है और यूक्रेन में हो रही तबाही को और बढ़ा रहा है. अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि जैसे ही युद्ध खत्म होगा यह टेररिफ हटा दिया जाएगा.

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Mohit Sharma
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अमेरिका का कहना है कि चीन और भारत रूस से जो तेल खरीद रहे हैं, उसी पैसे से रूस अपनी जंग चला रहा है और यूक्रेन में हो रही तबाही को और बढ़ा रहा है. अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि जैसे ही युद्ध खत्म होगा यह टेररिफ हटा दिया जाएगा.

अमेरिका ने रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए एक नया बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि G7 देश मिलकर भारत और चीन से आने वाली रूसी तेल पर 50 से 100% तक भारी टेरिफ लगाएं. इसका मकसद रूस को मिलने वाले पैसों को रोकना है ताकि वह यूक्रेन में चल रही जंग को लंबा ना खींच सके. इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए G7 देशों के वित्त मंत्री शुक्रवार को एक वीडियो कॉल बैठक करेंगे. ट्रंप इससे पहले भी यूरोपियन संघ से अपील कर चुके हैं कि भारत और चीन से आने वाली रूसी तेल पर 100% तक का टेरिफ लगाया जाए.

क्या है पूरा मामला

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अमेरिका का कहना है कि चीन और भारत रूस से जो तेल खरीद रहे हैं, उसी पैसे से रूस अपनी जंग चला रहा है और यूक्रेन में हो रही तबाही को और बढ़ा रहा है. अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि जैसे ही युद्ध खत्म होगा यह टेररिफ हटा दिया जाएगा. अमेरिका इस कदम को अपनी पीस एंड प्रोस्पेरिटी एडमिनिस्ट्रेशन का अहम हिस्सा बता रहा है. अमेरिका का कहना है कि इस तरह के कदम से रूस को मजबूर किया जा सकेगा कि वह शांति वार्ता की मेज पर आए और युद्ध का समाधान निकले. ट्रंप का मानना है कि आर्थिक दबाव ही रूस को बातचीत पर लाने का सबसे बड़ा तरीका है. उन्होंने यूरोपियन देशों से भी कहा है कि अगर वह रूस के खिलाफ सख्त हैं तो भारत और चीन को रूसी तेल खरीदने से रोकने के लिए उनके साथ मिलकर यह कदम उठाएं. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि अगर यूरोपियन संघ इस योजना में शामिल होता है तो वह असर और भी ज्यादा होगा. हालांकि यूरोपियन संघ इस प्रस्ताव को लेकर पूरी तरह सहमत नहीं दिख रहा है.

यूरोपीय संघ का क्या है लक्ष्य

उनका मानना है कि भारत और अमेरिका जैसे बड़े व्यापारिक साझेदारों पर इतना भारी टैरिफ लगाने से आर्थिक खतरा बढ़ सकता है. यूरोपियन देशों का डर है कि भारत और चीन इस पर पलटवार कर सकते हैं. जिससे वैश्विक व्यापार में तनाव बढ़ेगा. इसी वजह से फिलहाल रूस पर सीधे नए टैरिफ लगाने के बजाय अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए नई योजना बना रहा है. यूरोपीय संघ का लक्ष्य है कि 2027 तक वह रूस पर अपनी ऊर्जा निर्भरता पूरी तरीके से खत्म कर दे और रूस पर नए कड़े प्रतिबंध लगाए. कनाडा इस समय जो जी सात देश की अध्यक्षता कर रहा है, उसने इस बैठक की पुष्टि की है. कनाडा का कहना है कि वह रूस की युद्ध क्षमता और बढ़ा बढ़ाने के लिए आगे के कदम उठाने पर विचार करेगा. साफ है कि अमेरिका और उसके साथी देश चाहते हैं कि रूस को किसी भी तरह से कमजोर किया जा सके ताकि वह युद्ध बंद करने के लिए मजबूर हो जाए. 

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